Thursday, July 5, 2012

तुम मुझे बे-ईमान बना कर ही छोड़ोगे।



तुम मुझे बे-ईमान बना कर ही छोड़ोगे।

तुम स्साले रुपर्ट मर्डोक की औलाद !!
तुम चाहते हो कि मैं भी तुम्हारी तरह ही जीने के नियम तय कर लूं,
तुम चाहते हो कि मैं भी सीख लूं दो जोड़ दो बराबर चार का गणित,
और अपनी जिंदगी को बिल्कूल गणित के सिद्धांत की तरह बना लूं- एकदम से कैलकुलेटिव
जहां हर चीज फायदे और नुकसान के बीच रखकर देखी जाती है
तुम मुझे अक्सर बुलाते हो किसी छोटी-मोटी पार्टी के नाम पर शहर के सबसे बड़े होटल में।
तुम सोचते हो ढाबा पर चाय-गिलास में डूबो-डूबो कर रोटी खाने वाला यह आदमी
इस फाइव स्टार की चाईनिज, जापानीज और सी-फूड में भोंकते हुए अपनी चम्मच या फॉक्स
करने लगेगा मेरी भक्ति।
फिर ये भी प्रेम करेगा मुझसे, मेरे पैसे से।
अक्सर, जब तुम हार जाते हो अपने इस चाल से और नहीं जीत पाते हो मुझे
तो आ जाते हो तुम अपने असल रंग में
जो मैं देख लेता हूँ-
उस रंगीन चकाचौंध के बावजूद
जो है एक दम काला, बेरंग
तुम दिखाने लगते हो
एक ब्लैक घुप्प स्याह दुनिया
इन पर भी मैं जिद्द पर अपने रहता हूं अड़ा।
     तो तुम बताते हो इसे बचाकानी जिद्द
फिर लगते हो डराने
अरे, खुद की नहीं तो अपने घरवालों की सोचो
कैसे ले जाओगे अपने घर हर शाम झोले भर-भर सब्जियां, सीजनल फल और मां की गठिया के दर्द की दवा, पिता के लिए एक अदद चश्मा
क्या करोगे जब घर पहुंचते ही बच्चे- पापा, पापा कहते हुए दौड़ेंगे तुम्हारी ओर
                                                          और मांगने लगेंगे तुमसे कैडबरी चॉकलेट और बेबी डॉल।
                 कई बार तो मैं भी तुम्हे पहचानने में करने लगता हूं गलतियां।
                कई बार आते हो तुम मेरे सबसे अपने के बन कर
                वो अपना मेरी माँ भी होती है, खांसते हुए पिता भी
                 मेरा भाई भी और 27 बसंत देख लेने के बावजूद कुंवारी बहन भी।

लेकिन इतना याद रखना होगा तुम्हें भी..तुम्हारे लाख चाहने के बावजूद
मैं तुम नहीं हो सकता
क्योंकि मैं मैं ही नहीं सिर्फ हूं सारी पृथ्वी
और तुम हो ये आकाश!!

बेकाबू

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