Monday, July 4, 2011

मै तीन महीनो के बाद पटना आया हूँ
इतना दिन कवी भी पटना से दूर नहीं रहना हो पाया था
लेकिन इतने दिनों के बाद आने पर यहाँ हो रहे बदलाव को मै साफ़ महसुसू कर रहा हूँ
सच है जब तक आप किसी से दूर नही जाते उसके बदलाव को भी नहीं देख पातेअब तो दुःख इस बात का है की पटना से दूर जाना पर रहा है

Saturday, July 2, 2011

मै दिल्ली से पटना आ गया हूँ
अब दिल्ली के बारे में यहाँ से सोचता हूँ तो देखता हूँ सही लोग भागे जा रहे हैं कोई किसी से ये रुक के पूछना तक नही चाहता की क्यों भागे जा रहे हो हर कोई बस भागना chahta है
कवी कुछ देर रुक के पीछे भी देखो मेरे दोस्त कितने लोग छुट्टे चले जा रहे हैं

बेकाबू

 रात के ठीक एक बजे के पहले. मेरी बॉलकनी से ठीक आठ खिड़कियां खुलती हैं. तीन खिड़कियों में लैपटॉप का स्क्रीन. एक में कोई कोरियन सीरिज. दो काफी...