Monday, April 16, 2018

प्रिय महराज जी याद आ रही है

प्रिय महाराज जी!
बड़े महाराज की शादी है। आज शाम से ही वो आपको याद कर रहा है। आप होते तो क्या होता पर बात करते हुए वो रोने लगा है।
बात सच भी है। आप होते तो कित्ता पहले से तैयारी शुरू हो जाती। अभी तो शादी जैसा कुछ लग ही नहीं रहा। ख़ुशी कहीं गुम है। यक़ीन मानिए बढ़ा चढ़ा कर नहीं कह रहा।

आप  होते तो आधी ज़िम्मेदारी आपकी होती, और मैं खुलकर हँस पाता। आप होते तो...

बुरा लग रहा है कि मेरी वजह से कितने लोग अलग हो गए, जो बेहद क़रीब रहे कभी।

आपकी याद आती है।  कभी कभी बहुत जयदा। सोचता रहता हूँ लिखूँगा कभी लेकिन पता है आपतक़ ये लिखा कभी नहीं पहुँच पाएगा, जैसे आपके नम्बर तक मेरा हाथ नहीं पहुँच पाता।

आप होते तो ...

हम गंगा किनारे बैठे रह जाते तो कितना अच्छा था, हम यो बाइक्स से पटना की सड़क ही नापते तो कितना अच्छा था।
हम आपके क्रिकेट खेलते हुए झीड़क़ी को सुन लेते तो अच्छा था, कितना कुछ है लेकिन फ़िलहाल उसपर कोई बात नहीं करूँगा।

फ़िलहाल आपको बहुत याद, प्यार तो आप अब भी हैं, कभी गले लगकर ख़ूब रोना है महाराज जी!
शायद कभी!

Thursday, April 12, 2018

सपने में आना...

(कुछ दिनों से मैं शैली में कुछ कहानियां लिख रहा हूं.. उसी सीरिज की एक कहानी आज ब्लॉग पर भी लगा रहा हूं। कहानी को काल्पनिक ही समझने में सहूलियत होगी :) )
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अक्सर जो लोग हमसे दूर चले जाते हैं, जिनसे कभी मिलना नहीं होता, जो कभी बेहद करीब रहे थेः वही लोग सपने में आते हैं।
जैसे तुम अक्सर ही सपने में आते हो. तुम्हारा जाना उस सपने का केन्द्र बिन्दू है। उसी के आसपास पूरा सपना बुना रहता है। मसलन कल रात जब तुम सपने में आये तो जाने का समय तय था। मैं हड़बड़ी में था। उस आने को लेकर उहाोपोह था। मैं चाहता था तुम कुछ ज्यादा ही देर रुको। लेकिन वो भी तुम्हारे साथ था। तुम्हें ले जाने की जिद्द लिये।

मैं जल्दी जल्दी में अपने जरुरी काम निपटाने की पुरानी आदत का शिकार था। तुम्हारे होने पर ही कितनी जरुरी काम निपटाया करता था। उस समय मुझे याद आया बहुत दिनों से टूथब्रश नहीं ली है। मैं तुम्हारे साथ जनरल स्टोर जाना चाहता था, ट्रूथब्रश लेने। लेकिन तुम्हारे जाने का समय तय था। लेकिन मैं तुम्हारे होते हुए अपने इस जरुरी काम को निपटा लेना चाहता था।

कुछ देर में हम किसी ग्रोसरी की दुकान पर थे। मैं ट्रूथब्रश ली, तुमने लेट होने की बात कही, उसने तुम्हें घूरा, और फिर तुम निकल गए।
मुझे बहुत तेज प्यास लगी थी। मैं वहीं पानी खोजने लगा। पसीने से अचानक लथपथ हो गया। जगा तो देखा पंखे की हवा से ठंड लग रही है।
मैंने पानी पीने का ख्याल छोड़ दिया।

बेकाबू

 रात के ठीक एक बजे के पहले. मेरी बॉलकनी से ठीक आठ खिड़कियां खुलती हैं. तीन खिड़कियों में लैपटॉप का स्क्रीन. एक में कोई कोरियन सीरिज. दो काफी...