Thursday, September 16, 2021

इतिहास मुड़ मुड़ कर चला आता है

 हमारी आधी जिन्दगी देजावू जैसी ही लगती है. हर रोज उठकर लगता है बीता हुआ कल जी रहे हैं. बीता हुआ कल फिर वापिस चला आता है. कल जो आज को डर में बदल दे.

बहुत पहले जो बीत गया, किसी और के साथ जो बीत गया, वो फिर किसी नये के साथ कैसे हो सकता है?

फिर से पुराना ही किस्सा दोहराया जाता है.

क्या बीत गये से कुछ सीखा जा सकता है

कि जो अब पलट कर आय़े इतिहास को थोड़ा-थोड़ा उस सीख से ठीक रखा जा सकता है?



बेकाबू

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