एक जनवरी था तो सोचा इंडिया गेट घूम कर आया जाय।कहीं रेहड़ी वाले पान बेच रहे थे तो कहीं
भेलपुरी।मैं सोच रहा था कि ये सब मिलकर हमारे सेलिब्रेशन को कितना बढ़ा देते हैं।लेकिन हम इन्हें तीन शब्द नहीं कह पाते हैं-हैप्पी न्यू इयर।इनको हैप्पी न्यू इयर कहने का मजा ही कुछ और था।
कुछ बच्चे बाईस्कोप देख रहे थे,टोटल में कहें तो देश में खासकर दिल्ली में मेला संस्कृति को देखकर
दिल बाग-बाग हो गया।
और अंत में दिल जीत ले गया मकई के भूट्टे ने।वाह
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