पटने का लड़का और दिल्ली की लड़कियां 2
सेमेस्टर एगजाम के शुरू होते ही कैम्पस के चाल-ढाल में भी बदलाव दिखने लगा था। राकेश के रूम में भी एक बदलाव हो गया था। अब उसके कमरे पर एक छोटा सा बिहार बसने लगा था। आरा का चंदन, सासाराम का मनीष बेगुसराय का विवेक और दरभंगा का अनिल सभी इस शपथ के साथ अपनी पढ़ाई शुरू करते थे कि कोई टॉपर बनेगा तो बिहारी ही। चंदन जोर-जोर से कहता-"अरे, टॉपर कोई दूसरा को बनने देगा रे,का मुंह दिखायेगा..बिहार जाकर।" उसके इस हुंकार से सभी बिहारी लड़कों में जोश भर जाता था। अपनी बात का असर होता देख चंदन और जोर-जोर से कहने लगता है-'देखना टॉपर तो राकेश ही करेगा।' राकेश इ सुनकर नाराज हो जाता है।क्योंकि उसे मालूम है कि ये सब उससे पार्टी लेने के लिए कहा जा रहा है। फिर तो सभी एक-दूसरे को टॉपर बताने लगते हैं। किसी बिहारी के टॉपर बनने के बात पर तो सभी सहमत थे। लेकिन सबके मन में खूद को टॉपर देखने की छूपी लालसा थी। बात टॉपरों से चलकर कैम्पस की लड़कियो पर पहुंचती है। ''अरे सबसे ज्यादा सुंदर तो उ रश्मि ही लगती है कैम्पस में'' तभी दूसरा जवाब देता ''अरे उ तो फंसी है भागलपुर के रंजन के साथ, लेकिन जो कहो अच्छा माल फंसाया है''। बहुत देर से चुप्प विवेक कहता है-''बरगाही भाई। ओकर औकात है रे लड़की पटावे के। उ तो रश्मि उसका यूज कर रही है।''
हालांकि विवेक भी मन-ही-मन सोचता है कि 'काश, कोई लड़की हमें भी ऐसे ही यूज करती'।
सासाराम के मनीष की हालत इन सबसे अलग है। वो जबसे कैम्पस में आया है सिर्फ एक ही लड़की पर लाइन मारा है। लेकिन बांकि दोस्त उसे चुतिया कहते हैं। मनीष कहता है-'एक बार यूपीएससी होने दे,वही लड़की दहेज के साथ लेकर घर आयेगी।'
'देखो,स्साले को प्यार में भी दहेज की बात करता है'-चंदन कहता है। चंदन के अपने दुख हैं वो जल्दी से एग्जाम खत्म करना चाहता है,उसे ढेर सारी मस्ती जो कैम्पस में करनी है।
बीच-बीच में चाय की चुस्की भी आठ बाई दस के कमरे में गर्मजोशी भरता रहता है। तभी बीच में ही राकेश
सबको याद दिलाता है कि हमें पढ़ना भी है। फिर जल्दी-जल्दी से एक चैप्टर किसी तरह निबटाया जाता है।
इसके बाद पोस्टमार्टम शुरू किया जाता है।। पोस्टमार्टम का अर्थ तो आप खूद समझ गये होंगे।
क्रमश जारी...;
सेमेस्टर एगजाम के शुरू होते ही कैम्पस के चाल-ढाल में भी बदलाव दिखने लगा था। राकेश के रूम में भी एक बदलाव हो गया था। अब उसके कमरे पर एक छोटा सा बिहार बसने लगा था। आरा का चंदन, सासाराम का मनीष बेगुसराय का विवेक और दरभंगा का अनिल सभी इस शपथ के साथ अपनी पढ़ाई शुरू करते थे कि कोई टॉपर बनेगा तो बिहारी ही। चंदन जोर-जोर से कहता-"अरे, टॉपर कोई दूसरा को बनने देगा रे,का मुंह दिखायेगा..बिहार जाकर।" उसके इस हुंकार से सभी बिहारी लड़कों में जोश भर जाता था। अपनी बात का असर होता देख चंदन और जोर-जोर से कहने लगता है-'देखना टॉपर तो राकेश ही करेगा।' राकेश इ सुनकर नाराज हो जाता है।क्योंकि उसे मालूम है कि ये सब उससे पार्टी लेने के लिए कहा जा रहा है। फिर तो सभी एक-दूसरे को टॉपर बताने लगते हैं। किसी बिहारी के टॉपर बनने के बात पर तो सभी सहमत थे। लेकिन सबके मन में खूद को टॉपर देखने की छूपी लालसा थी। बात टॉपरों से चलकर कैम्पस की लड़कियो पर पहुंचती है। ''अरे सबसे ज्यादा सुंदर तो उ रश्मि ही लगती है कैम्पस में'' तभी दूसरा जवाब देता ''अरे उ तो फंसी है भागलपुर के रंजन के साथ, लेकिन जो कहो अच्छा माल फंसाया है''। बहुत देर से चुप्प विवेक कहता है-''बरगाही भाई। ओकर औकात है रे लड़की पटावे के। उ तो रश्मि उसका यूज कर रही है।''
हालांकि विवेक भी मन-ही-मन सोचता है कि 'काश, कोई लड़की हमें भी ऐसे ही यूज करती'।
सासाराम के मनीष की हालत इन सबसे अलग है। वो जबसे कैम्पस में आया है सिर्फ एक ही लड़की पर लाइन मारा है। लेकिन बांकि दोस्त उसे चुतिया कहते हैं। मनीष कहता है-'एक बार यूपीएससी होने दे,वही लड़की दहेज के साथ लेकर घर आयेगी।'
'देखो,स्साले को प्यार में भी दहेज की बात करता है'-चंदन कहता है। चंदन के अपने दुख हैं वो जल्दी से एग्जाम खत्म करना चाहता है,उसे ढेर सारी मस्ती जो कैम्पस में करनी है।
बीच-बीच में चाय की चुस्की भी आठ बाई दस के कमरे में गर्मजोशी भरता रहता है। तभी बीच में ही राकेश
सबको याद दिलाता है कि हमें पढ़ना भी है। फिर जल्दी-जल्दी से एक चैप्टर किसी तरह निबटाया जाता है।
इसके बाद पोस्टमार्टम शुरू किया जाता है।। पोस्टमार्टम का अर्थ तो आप खूद समझ गये होंगे।
क्रमश जारी...;
GOOD
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