Wednesday, September 26, 2012

गांधी मैदान वाया कैमरा

गुटखा पर प्रतिबंध लग चुका है लेकिन पेट का सवाल है बाबू

परमानेंट घर यही है..
गांधी मैदान को पटना का दिल कहा जाता है। सुबह टहलने आने वालों के लिए ये जॉगिंग स्पॉट है तो हर सुबह अपनी आंखे इसी मैदान के किसी कोने में खोलने वालों के लिए घर या डूबे को तिनके का सहारा।
इसकी अपनी जिंदगी है, इसका अपना रंग भी है।
देखें कुछ तस्वीरें
किसी ऑफिस के काम से राजधानी आए थे, चक्कर काट कर सुस्ता रहे हैं

बैठकबाजी ऐसा कि जहां सरकार तक गिरने की बात होती हो

क्या खींचते हो बाबू, पेट में जलने वाले आग का सवाल है


साथी रे। हाथ बंटाना

क्या महिला क्या पुरुष- सबका पनाहगार

जरा निशाना साध ले


आओ घर के कोलाहल से दूर फुर्सत के दो पल बिता लें

क्या दोस्त अब चल भी ले


रेखाएं दूसरों की बोलती है-मेरी कब बोलेगी

मैं कहां हूं

मोबाइल हर हाथ को बात पुरानी है

आदमी के साथ मैं भी यहीं हूबं

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