Saturday, September 28, 2013

पड़ोसी-1





कुछ दिन से पड़ोसी के
घर में सन्नाटा है,
ना रेडियो चलता है,
ना रात को आँगन में
उड़ते हुए बर्तन हैं।


उस घर का पला कुत्ता--
खाने के लिए दिन भर,
आ जाता है मेरे घर
फिर रात उसी घर की
दहलीज़ पे सर रख कर
सो जाया करता है !
-गुलजार (रात पश्मीने की)

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