गोपाल सून्या की एक पेंटिग |
चाहे कितनी ही अश्लील हो कोई फिल्म
वह उतनी अश्लील नहीं हो सकती
जितना प्रेमरत जोड़ा होता है एक.
अगर प्रेम कोई मानवीय चीज़ है
तो अश्लीलता भी मानवीय है.
लारेंस, मिलर, रोदां,
पिकासो, उतमारो, मान्यो कवि,
क्या वे कभी डरे अश्लीलता से?
फिल्म नहीं होती अश्लील
हम हैं जो असल में अश्लील होते हैं
गरमाहट के साथ, कोमलता के साथ, शक्ति के साथ
और कितनी बदसूरती और शर्म के साथ
और कितनी बदसूरती और शर्म के साथ
हम अश्लील हैं
रात और दिन अश्लील
किसी भी और चीज के बिना, अश्लील.
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