Wednesday, April 30, 2014

तुम्हारी दोस्ती पर खर्च कुछ शब्द


 न हर रोज के  फोन, न ऑफिस से लेकर निजी जिन्दगी में होने वाली घटनाओं का
ब्यौरा और न ही मिलने और बात करने का वैसा कुछ इंतजार।
वैसा कुछ भी नहीं है जो हमदोनों को दोस्ती के सामान्य परिभाषा में फिट
करता हो। हां, उसका लिखा मुझे अच्छा लगता है। अपना लिखा उसको पढ़वाना
चाहता हूं। जानते हुए कि वो अच्छा बोलेगी बजाय इसके कि ईमानदार फीडबैक
दे। फिर भी एक अजीब सा भरोसा है लगता है उसने अच्छा बोल दिया तो फिर
बांकि दुनिया भले खराब बोले ये अच्छा ही होगा। अच्छी तस्वीर, अच्छे शब्द।

हां, इत्ता जरुर है कि जब पूरी दुनिया मेरे खिलाफ खड़ी हो, वो चुपके से
मेरे बगल में आ खड़ी होती है। बिना हल्ला किए, शोर मचाये वो साथ होती है।
उस समय भी जब कथित बेस्ट फ्रैंड हँसी उड़ा रहा होता है और उस समय भी जब
लोगों की बातों से मैं निराश अपनी उड़ान कम करना चाहता हूं।

कभी-कभी जब हमारी बात होती है तो बस बातें होती है। पता नहीं क्या-क्या
बातें करता हूं। मन के गांठ खुलते हैं।

जब हम मिलते हैं तो बस मिलते हैं। उस समय हमारे आसपास  सिर्फ हमारी
मुलाकात होती है। न जाने किस इशारे में, किसके लिए, किस को इमेजिन कर-कर
के हम बतियाते रहते हैं।

हमदोनों एक-दूसरे के प्रायवेट स्पेस को बचाये रखना चाहते हैं। कई बार
लगता है उस स्पेस को बचाये रखने की वजह से कुछ छूट रहा है, कुछ है जो
नहीं कहा जा रहा है, कुछ है जो शायद कह दे तो बोझ हल्का हो जाये...
वो कई बार कुछ ऐसा लिखती है जिसपर ‘अच्छा लिखा है’ नहीं कह पाता। बस, उस
लिखे की प्रक्रिया को समझना चाहता हूं, उन बेनींद बीती रातों को समझना
चाहता हूं जब वो लिखा गया, उन हदों को समझना चाहता हूं जहां बिना लिखे
इमोशन स्थूल हो जाते हैं.....लेकिन उसके रहस्य को छूना नहीं चाहता इसलिए
समझने की कोशिश नहीं करता, बस चाह कर रह जाता हूं।

बावजूद इसके इक भरोसा है। जब बोझ बढ़ेगा तो हम एकदूसरे के कंधे पर डाल
आगे बढ़ेंगे....
बिना थोपे पैदा हुआ विश्वास है, बिना बोले महसूस किया गया अपनत्व है...

5 comments:

  1. shobha ko aap jitna to nhi jaanti...pr jitna janti hu ye kah sakti hu ki uske pass baithkar-batiyakar kuch halka mahsoos hota hai..:)

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  2. sobha ko aap jitna to nhi jaanti, pr kam samay me hi uska sath sukun dene wala lagne lga hai..

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  3. शब्दों में भावों को बेहतर तरीके से पिरोया गया है। कइयों को यह उबाउ लग सकता है लेकिन जो इसे दिल से समझेंगे उन्हें हमेशा ही बेहतरीन लगेगा।

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  4. शब्दों को भावों में बेहतर तरीके से पिरोया गया। कइयों को यह उबाउ लग सकती है लेकिन जो भी इसे दिल से पढ़ेगा वह बेहतरीन ही कहेगा।

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