चिंगारी
ट्रस्ट भोपाल गैस पीड़ितों के बीच काम करती है। 3 दिसंबर 2014 को भोपाल गैस त्रासदी को गुजरे 30 साल हो गए। एक ऐसी त्रासदी
जिसने तत्काल हजारों लोगों की जान ले ली, लाखों लोगों को विकलांग कर गया, भोपाल शहर को बर्बाद कर दिया, लेकिन ये सिलसिला ऐसे ही नहीं थमा।
आज भी भोपाल में खतरनाक विकिरण से बच्चे शारीरीक-मानसिक रुप से विकलांग पैदा हो रहे हैं। चिंगारी ट्रस्ट में इन्हीं बच्चों की देखभाल की जाती है।
3 दिसंबर को महान संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं के साथ भोपाल में इन बच्चों से मिलने का मौका मिला
वैसे तो
चिंगारी के कैंपस में जाते ही मन और आँख दोनों भींग गए थे और कैमरा भी मैंने अपना
बंद कर लिया था, लेकिन जब
लौटा तो चेहरे पर खूब सारी हँसी,
मन में ढ़ेरों उम्मीदें और बहुत सी तस्वीरें साथ थी।
मानव के
मुनाफाजनित त्रासदी ने इन बच्चों से वह सब छिन लिया जो एक सामान्य स्थिति में जन्म
के साथ किसी भी बच्चे का अधिकार है। इन तस्वीरों में शामिल बच्चे या तो सुन नहीं
सकते, बोल नहीं
सकते, कोई चल
नहीं सकता, कोई ठीक
से सोच नहीं सकता, कोई अपने
माँ-बाप, परिवार, दोस्त को पहचान नहीं सकता, कोई बड़ा होकर सामान्य
जिन्दगी नहीं जी सकता, कोई
व्हील चेयर से उठ नहीं सकता, हो सकता
है कोई चाहकर भी डॉक्टर नहीं बन सकता, पायलट बन हवाई जहाज नहीं उड़ा सकता, कोई फिल्मी पर्दे पर छा जाने के सपने नहीं देख
सकता...हो सकता है कोई फुटबॉल खेलने नहीं जा सकता, कोई क्रिकेटर नहीं बन सकता...और कोई वह सब नहीं कर
सकता जो एक सामान्य बच्चा सोचता-करता-सपने देखता है।
एक मुनाफाखोर, आदमखोर व्यवस्था ने इनसे इनके जीने का हक ही छिनने की कोशिश की है, लेकिन वो छिन नहीं पाया इनकी हँसी, इनकी आपस की दोस्ती, इनका बार-बार रिक्वेस्ट कर फोटो खिंचाना, फोटो को देख-देख हँसना, जोर-जोर से ताली पीटना, पढ़ना, लिखना, किसी भी अजनबी को हैलो, हाई, बाय, थैंक्स कहने की तहजीब, एक-दूसरे को छेड़ना, मुंह बना बना पोज देना, हाथेलियों को मोबाईल बनाकर एकदूसरे से घंटों बतियाने की एक्टिंग करना, झूले पर तेज-तेज झूलना, हँसी-खुशी जीना...और सामान्य जीवन जी रहे लाखों बड़े-समझदार-ओहदेदार-पढ़े,लिखे लोगों को जिन्दगी जीने का पाठ पढ़ाना, जो हर रोज की जिन्दगी को कोसते हुए सोते-उठते हैं..जो धर्म के नाम पर कभी हिन्दू होते हैं कभी मुसलमान लेकिन आदमी नहीं होते।
जबकि यहां देवेश और जावेद साथ में बैठ ढोलक बजाते, गाना गाते, कोई सकीना और पूजा साथ-साथ में डांस का अभ्यास करते, हँसते-मुस्कुराते-ठहाके लगाते-मुँह फुलाते हर रोज दुख के अथाह सागर से अपने लिये थोड़ी-थोड़ी जिंदगी चुरा लेते हैं, थोड़ा-थोड़ा सुख उठा लेते हैं।
इन कुछ
क्लिक्स के बहाने मैंने भी इनसे सीखने की कोशिश की थोड़ी सी जिंदगी, कुछ सुख, ढ़ेर सारी उम्मीदें......
No comments:
Post a Comment