Sunday, September 23, 2018

भूखे की डायरी

- तुम्हारे जाने के बाद लग रहा है मैं एक ब्रेक पर हूँ।
- मुझे इस ब्रेक की जरूरत थी
- लगभग ज्यादा से ज्यादा अकेले रहने की कोशिश करता हूँ।
- अभी दो दिन पहले भूख से रोने लगा
- मैं समझ नहीं पाता भूख का ििइंतजाम मैं क्यों नहीं कर पाता
- अच्छा भी लग रहा है और एक खालीपन भी
- लेकिन ये खालीपन बेचैन नहीं कर रहा
- कभी कभी तो पूरा दिन बिस्किट खा कर रह जा रहा हूँ
- दफ्तर में क्यों रणनीतिक नहीं हो पाता
- प्रोफेशनल स्पेस में विद्रोह और भावुक होना आत्मघाती है
- फिर भी हो जा रहा हूँ
- बंगलोर जा रहा, शायद वहां थोड़ा और तसल्ली से रह पाऊँ
- मैं न एक्टिविज्म कर रहा और न जर्नलिज्म

  • - इस सच को दिल लेकिन मान नहीं पा रहा।

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