कोई अक्टूबर का महीना था
जब शिउली आयी थी
ठीक पुजा से पहले का वक्त
हर सबुह तीन बजे हम जग जाते
शिउली भी ठीक तीन बजे ही आती थी
उसकी खूशबू
आह, तीन बजे सुबह शिउली की खुशबी
दिनभर जेब में और ख्याल में डूबी रहने वाली खुशबी
हम जाते....
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