एक कमाल की बात है। आजतक कोई एक ऐसा नहीं मिला जिसके सामने अपने मन की गांठ खोल पाउं।
बचपन से। कई बार सोचा किसी के साथ इस गांठ को खोला जाये। लेकिन सालों साल बीतते रहे और वो हो नहीं पाया। इस एक गांठ ने लोगों छूटवाये। इस एक गांठ ने पूरा का पूरा गांव उजाड़ा। इस गांठ ने किसी चीज को अपना न होने दिया।
लेकिन अब लगता है धीरे-धीरे उस गांठ के खुलने का वक्त आया है।
बचपन से। कई बार सोचा किसी के साथ इस गांठ को खोला जाये। लेकिन सालों साल बीतते रहे और वो हो नहीं पाया। इस एक गांठ ने लोगों छूटवाये। इस एक गांठ ने पूरा का पूरा गांव उजाड़ा। इस गांठ ने किसी चीज को अपना न होने दिया।
लेकिन अब लगता है धीरे-धीरे उस गांठ के खुलने का वक्त आया है।