दिन ऐसे ही बीता। चारों तरफ आजादी मुबारक के संदेश लिये। बार-बार ध्यान कश्मीर से आने वाली खबरों की तरफ। लगभग सारे ही राजनीतिक कार्यकर्ताओं को, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया है और यहां तक कि 11 साल के बच्चों को भी।
पूरे कश्मीर को बंद कर दिया गया है। लोग घरों से नहीं निकल पा रहे हैं। लेकिन फिर भी कहा जा रहा है कि सब अच्छा है। कश्मीर के लोग खुश हैं।
अब अपनी आजादी को लेकर, संवैधानिक अधिकारों को लेकर सच में डाउट सा महसूस हो रहा है। आजादी की बात करने वालों को, न्याय की बात करने वालों को, हक मांगने वालों को डराया जा रहा है। सही को सही कहने वालों पर हमले हो रहे हैं। न्याय को राष्ट्र के नाम पर कूचलने की सामूहिक मंजूरी मिल गयी है।
आप प्रिविलेज हैं तो ये लिख लेना, बोल लेना, विरोध जता लेने का जो भ्रम है वो बस बचा हुआ है। जिसे आज न कल टूटना ही है।
पूरे कश्मीर को बंद कर दिया गया है। लोग घरों से नहीं निकल पा रहे हैं। लेकिन फिर भी कहा जा रहा है कि सब अच्छा है। कश्मीर के लोग खुश हैं।
अब अपनी आजादी को लेकर, संवैधानिक अधिकारों को लेकर सच में डाउट सा महसूस हो रहा है। आजादी की बात करने वालों को, न्याय की बात करने वालों को, हक मांगने वालों को डराया जा रहा है। सही को सही कहने वालों पर हमले हो रहे हैं। न्याय को राष्ट्र के नाम पर कूचलने की सामूहिक मंजूरी मिल गयी है।
आप प्रिविलेज हैं तो ये लिख लेना, बोल लेना, विरोध जता लेने का जो भ्रम है वो बस बचा हुआ है। जिसे आज न कल टूटना ही है।
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