Thursday, November 28, 2024

कुछ चीजों का लौटना नहीं होता....

 क्या ऐसे भी बुदबुदाया जा सकता है? 

कुछ जो न कहा जा सके, 

जो रहे हमेशा ही चलता भीतर 

एक हाथ भर की दूरी पर रहने वाली बातें,

उन बातों को याद करना

उन बातों के लिये बेचैनी 

उन बातों का रंग कौन सा


उन रंगों में हमारा अपना रंग कौन सा

हमारे रंगों में तुम्हारा रंग कौन सा

तुम्हारे रंग में मेरा रंग कौन सा


हँसते हुए

नीले रंग का दरवाजा और बोगनवलिया के खिल आए फूल

जेरुसेलम शहर 

और गाजा का खंडहर

खंडहरों में दबे लोगों का रंग कौन सा


और मिट्टी बने लोग कौन से

हम कहां दबे 

जब मिले तो 

कौन से फूल खिले

सूखे फूलों का क्या करें

घर में फूलों का आना बंद क्यों 


और तुम्हारा ?


इंतजार में रहते हुए आदमी का रंग क्या 

रंग जो घर भूल आया वो कौन सा

कौन सा कॉफी

और 

जो हमारा चायखाना था 

उसका रंग भी 

नीला क्या नहीं बचा


बुदबुदाने का रंग कौन सा

कौन सी बातें 

कौन सी रंग

कौन सी हँसी

कौन से फूल 

जो 

रह गए

तुम्हारे पास

मेरे पास

हमारे पास

क्या हम दोनों के जाने के बाद भी बचा रहेगा

हमारा 

हम 



मैं चिड़िया होना चाहता हूं...

 बचपन में सोचता था मैं एक चिड़िया बनूंगा. आज इतने साल बीत जाने के बाद भी मुझे लगता है किसी दिन चलते चलते उड़ने लगूं और चिड़िया बन जाउंगा.


हमारी दुनिया के बाहर भी एक दुनिया है क्या?


एक दुनिया जिसमें हम रहते हैं. एक दुनिया जो हम दूसरों को दिखाते हैं. और एक जो छिपा रहता है. कही हमारे भीतर ही चलता रहता है.

जो पुरानी चीजों की याद में रहता है. चले गए लोगों की ललक में. उस दुनिया से हम बिल्कूल अकेले में मिलते हैं. उन गए लोगों को याद करते हैं. उन यादों को याद रखने की कसमें लेते हैं.


शायद, चलते चलते इस दुनिया से उस दुनिया में पहुँच हम उड़ने लगते हैं.


ट्रांजिट करते इस दुनिया और उस दुनिया में हम किसी दिन ऐसे ही थक जायेंगे. और फिर बैठ कर सुस्ताने बैठेंगे तो पता लगेगा कि हमारी कोई जमीन नहीं है, हमारे आसमान को किसी ने रंग दिया है.


कुछ चीजों का लौटना नहीं होता....

 क्या ऐसे भी बुदबुदाया जा सकता है?  कुछ जो न कहा जा सके,  जो रहे हमेशा ही चलता भीतर  एक हाथ भर की दूरी पर रहने वाली बातें, उन बातों को याद क...