तुम पूछती हो संघर्ष कहाँ है?
अक्सर कहते सुना है तुम्हे
"संघर्ष तो एक रूमानी कल्पना है मेरे मन की ।"
कैसे समझाऊ तुमको
संघर्ष किसी लाल झंडे की जागीर नहीं ,
न ही है वह किसी आन्दोलन की कापी राइट ,
संघर्ष तो गंगा ढाबा के पत्थरो पर दो अंधे जोड़े के कदम-कदम ठोकर खाकर चले जाने में हैं
संघर्ष जे.न.यु में इंकलाब गाने में नहीं,
जे.न.यु गेट पर खड़े ऑटो रिक्सा वाले में है
जो हर आने जाने वाले पर एक निगाह डालता है
और डी टी सी की ऐ.सी बसों को देख सहमत है,
संघर्ष गंगा ढाबे पर काम करने वाले उस छोटू में है
जिसके लिए बड़ी बड़ी किताबी ज्ञान का कोई मतलब नही,
संघर्ष झेलम होस्टल के किसी कमरे में व्यवस्था को कोसने में नहीं ,
सम्पूर्ण सत्ता परिवर्तन की बात करने में नही ,
इस व्यवस्था में जीते हुए , एस सत्ता से लड़ते हुए ,
हर उस आम आदमी में है जो एस व्यवस्था से लड़ता,पिसता,दबता है
फिर भी अपने अस्तित्व की लड़ाई को लादे जाता है,
जिए जाता है
संघर्ष देश के उतर-आधुनिक विश्विदालय में पढ़ने में नहीं
बल्कि यहाँ से पढ़ कर किसी-भी नोकरी में लग जाने में है,
संघर्ष लाल सलाम-लाल सलाम,हल्ला बोल -हल्ला बोल
कहने में नही
संघर्ष तो इस व्यवस्था में रहते हुए ,
अपने जीवन को बचा लेने में है,
जनता हूँ
कोई नयी बात नही बतला रहा तुम्हे
बचपन से सुनती आई हो तुम
"जीवन एक संघर्ष है"
मई भी यही समझा रहा हु तुम्हे
"संघर्ष ही जीवन है"
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