मेरे नजर मे इंडिया
मेरे लिए इंडिया उस सब्जी बनाते तस्वीर वाले बच्चे की है जो स्कूल जायेगा या किसी चाय दुकान पर यह तय करना मुश्किल है। |
मेरे लिए इंडिया उस झुग्गी में रहने वाले रणधीर की है जो अहले सुबह उठता तो है लेकिन स्कूल जाने के लिए नहीं बल्कि किसी चाय या होटल के बर्तन साफ करने के लिए।
मेरे लिए इंडिया उस औरत की है जो कपड़े वहीं धोने को मजबूर है जहां बर्तन |
मेरे लिए इंडिया उस चाय पी रहे मजदूर की है जो चार रूपये की चाय पीकर अपनी भूख मिटाने को बेबस है और रोज गांव पैसे भेजने की चिंता उसे सताये जा रही है |
मेरे लिए इंडिया उस साईकिल मिस्त्री की है जो किसी मार्क्स या पूंजीवाद को नहीं जानता और उसकी विचारधारा रोटी तक सिमट गयी है।
मेरे लिए इंडिया उस नबालिग लड़के की है जो अपने कंधे पर परिवार का बोझ डाले कहीं किसी शहर में ऑटो चला रहा है। |
मेरे लिए इंडिया उस बच्चे की भी है जो सड़क पर मिले जूते को पहन कर खुश है,भले उसके नाप का न हो।
मेरे लिए इंडिया उन भगवान के मंदिरों की है जो सड़को पर बने हैं और आने वाले समय में उन्हें भव्य बनाने की योजना है।
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