Sunday, August 19, 2012

मां तुम पछताओगी


गर्भ समापन होगा कल सुन,
कन्या का दिल डोल उठा।
माँ मुझको आ जाने दो न,
कन्या भ्रूण यह बोल उठा।

       बेटा और बेटी दोनों ही
       एक समान पीड़ा से होते,
        बेटे की सब खुशी मनाते,
        क्यों मेरे आने पर रोते।
मां मैं आश्वासन देती हूं,
तेरी पीड़ा को समझुँगी
जब भी तू बीमार पड़ेगी
सेवा तेरी खूब करूंगी।

अपने छोटे हाँथों से मां,
हाथ बटाउंगी मैं तेरी,
भैया को सबकुछ देना,
दूजा नम्बर होगा मेरा।

                                  मुझको मत धिकयाओ मम्मा,
                                   खूब पढूंगी, खूब लिखूंगी।
                                 बनू कल्पना या विलियम में
                                  जग में तेरा नाम करूंगी।
                                 इंदिरा गांधी भी मिहला थी,
                                 पूर्व राष्ट्रपति भी थी महिला।

अफसोस मुझे नष्ट कर देनेवाली,
क्रूर डाक्टर भी है महिला।

यदि नहीं मानोगी मां तुम,
एक समय पछताओगी
बेटे की दुल्हन ढूंढोगी
कहीं नहीं फिर पाओगी।

मां एक दिन तुम पछताओगी,
एक दिन तुम पछताओगी।

मिल भी जाएगी यदि लड़की,
तुम  पर अब विश्वास नहीं है।
कोख कत्ल करने वाली मां,
कल बहु को नहीं जलाओगी,
  मां एक दिन तुम पछताओगी, एक दिन तुम पछताओगी।

-
अनामिका भारद्वाज, रघुनाथपुर बक्सर की रहने वाली हैं और दसवीं की छात्रा हैं।

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