Friday, January 4, 2013

बेगुनाहों को छोड़ने के बजाय सांप्रदायिक आईबी-एटीएस को बचाने की फिराक में सरकार

बेगुनाहों को छोड़ने के बजाय सांप्रदायिक आईबी-एटीएस को बचाने की फिराक में सरकार- दारापुरी
कोर्ट में सरकारी वकील ने सपा सरकार का असली चेहरा बेनकाब कर दिया- रिहाई मंच

लखनऊ 4 जनवरी 2013/ रिहाई मंच ने आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर याचिका के कोर्ट द्वारा खारिज कर दिए जाने का स्वागत करते हुए कहा है कि अब सरकार के सामने ऐसी कोई कानूनी बाधा नहीं है कि वो बेगुनाहों को छोड़ने के अपने चुनावी वादे को पूरा न कर सके। 

रिहाई मंच द्वारा जारी बयान में पूर्व पुलिस महानिरिक्षक एसआर दारापुरी ने कहा कि हाई कोर्ट के निर्देश के बाद अगर सपा सरकार बेगुनाहों को नहीं छोड़ती है तो इसका मतलब यही होगा कि सरकार इन निर्दोषों को फसाने में शामिल आईबी और एसटीएफ-एटीएस के अधिकारियों को बचाने की फिराक में है। जिनकी आपराधिक और सांप्रदायिक भूमिका का खुलासा आरडी निमेष जांच आयोग की रिपोर्ट कर चुकी है जिसे सरकार पिछले चार महीने से दबाए रखी है। 

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान और रिहाई मंच के अध्यक्ष अधिवक्ता मोहम्मद शुएब ने कहा कि इस याचिका के खारिज होने के बाद भी जिस तरह से सरकारी वकील ने कहा कि सरकार किसी को भी नहीं छोड़ने जा रही है इससे साफ हो जाता है कि सपा सरकार मुसलमानों से किए गए अपने इस चुनावी वादे को पूरा नहीं करना चाहती और इस मसले पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा आजमगढ़ में बेगुनाहों को छोड़ने का वादा करना और वरिष्ठ सपा नेता राम गोपाल यादव द्वारा इस मसले को संसद में उठाना मांत्र मुसलामानों को भावनात्मक आधार पर बेवकूफ बनाने की कोशिश है। जिसे मुसलमान अब समझ गया है। 

नेताओं ने बताया कि पिछले दिनों मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे अनिश्चित कालीन अनशन पर बैठे थे तो उन्हें भी बेगुनाहों के रिहाई के सवाल पर सरकार ने आश्वासन दिया था कि वो जल्द इस पर कार्यवाई करेगी। पर जिस तरह कोर्ट में सरकारी वकील ने सरकार के पक्ष को रखा उससे साफ हो जाता है कि सरकार इस मुद्दे पर झूठ पर झूठ बोल रही है।

द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
प्रवक्ता रिहाई मंच
09415254919, 09452800752
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110/60, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon East, Laatoosh Road, Lucknow
Office - Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism

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