Friday, January 25, 2013

हिंदुस्तान में दो दो हिंदुस्तान दिखाई देते हैं- गुलजार


हिंदुस्तान में दो दो हिंदुस्तान दिखाई देते हैं


एक है जिसका सर नवें बादल में है
दूसरा जिसका सर अभी दलदल में है


एक है जो सतरंगी थाम के उठता है
दूसरा पैर उठाता है तो रुकता है


फिरका-परस्ती तौहम परस्ती और गरीबी रेखा
एक है दौड़ लगाने को तय्यार खडा है


‘अग्नि’ पर रख पर पांव उड़ जाने को तय्यार खडा है
हिंदुस्तान उम्मीद से है!


आधी सदी तक उठ उठ कर हमने आकाश को पोंछा है
सूरज से गिरती गर्द को छान के धूप चुनी है


साठ साल आजादी के…हिंदुस्तान अपने इतिहास के मोड़ पर है
अगला मोड़ और ‘मार्स’ पर पांव रखा होगा!!


हिन्दोस्तान उम्मीद से है..

No comments:

Post a Comment

बेकाबू

 रात के ठीक एक बजे के पहले. मेरी बॉलकनी से ठीक आठ खिड़कियां खुलती हैं. तीन खिड़कियों में लैपटॉप का स्क्रीन. एक में कोई कोरियन सीरिज. दो काफी...