कई बार बेहद शिद्दत से याद आते हो...लेकिन फिर सोचता हूं शायद तुम्हारे प्यार जिसे मैं पजेसिवनेस बोलता हूं....के काबिल नहीं...
अच्छा
लगता है जब तुम्हारे बारे में पता चलता है कि तुम अपनी दुनिया में खुश न
भी हो तो कम से कम बेहतर कर रहे हो....ठीक हो...या कुछ बुनने में लगे हो।Sunday, June 1, 2014
तुम बहुत याद आते हो
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बेकाबू
रात के ठीक एक बजे के पहले. मेरी बॉलकनी से ठीक आठ खिड़कियां खुलती हैं. तीन खिड़कियों में लैपटॉप का स्क्रीन. एक में कोई कोरियन सीरिज. दो काफी...
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