अपने एक दोस्त से पिछले दिनों बहस हो रही थी। वही सुविधाओं पर, महंगे लाइफ स्टाईल वगैरह..वगैरह।
बात जो निकल के आयी वो यही कि अगर कोई पांचसितारा जीवन जीना चाहता है तो ये एकदम व्यक्तिगत पसंद है उसकी। इसमें कुछ भी सही या गलत खोजने का कोई मतलब नहीं है। शर्त बस इतनी जरुर हो कि सारी सुविधाएँ ईमानदारी से की गयी मेहनत से कमाया गया हो। बस।
नहीं तो अंबानियों और अदानियों जैसी सुविधाएँ इस देश को लूट कर ले रहे हैं उनका विरोध जरुरी भी है और स्वाभाविक भी।
लेकिन जहां व्यक्तिगत पसंद का मामला है वहां ये भी हो कि अगर कोई कम सुविधाओं वाली जिन्दगी जीने में ज्यादा आनंद महसूस कर रहा है तो उसे भी दिखावा कहकर खारिज नहीं कर देना चाहिए।
अगर मुझे किसी महंगे होटल में जाकर चार-पांच हजार लूटाना पसंद नहीं, एक्सपेंसिव कपड़े यूज करना भी पसंद नहीं तो ये बिल्कुल मेरी व्यक्तिगत पसंद-नापसंद का मामला है।
किसी को जो खुशी होटल में जाकर मिलता है, अगर मुझे वही खुशी स्ट्रीट फुड में मिल जाये तो इसमें कुछ भी ऐसा नहीं है जिसकी तारीफ की जाय या फिर आलोचना।
दरअसल, हमें ब्लैक एंड व्हाईट देखने से बचते हुए अपनी जिन्दगी को, जीने के तरीके को खुद चुनने की आजादी मिले- यही आनंद है।
ऐसी बहसों से अक्सर अच्छी समझ के साथ बातें निकल कर आती हैं, नहीं तो मेरे बहुत सारे कॉमरेड दोस्त भी हैं जो जरुरी हवाई यात्राओं, कुछ महंगे होटलों में खाने, या फिर कभी कुछ ब्रांडेड कपड़े पहन लेने पर गैर-जनवादी का तमगा देने के लिए मचल उठते हैं। भले मौका मिलने पर सबसे पहली कतार में खड़े होते हैं, सारी सुविधाओं को जनता के हित में उपभोग करने के लिए
मामला ब्लैक एंड व्हाईट नजरीये का ही है कॉमरेड्स। सुधर जाओ।।
बात जो निकल के आयी वो यही कि अगर कोई पांचसितारा जीवन जीना चाहता है तो ये एकदम व्यक्तिगत पसंद है उसकी। इसमें कुछ भी सही या गलत खोजने का कोई मतलब नहीं है। शर्त बस इतनी जरुर हो कि सारी सुविधाएँ ईमानदारी से की गयी मेहनत से कमाया गया हो। बस।
नहीं तो अंबानियों और अदानियों जैसी सुविधाएँ इस देश को लूट कर ले रहे हैं उनका विरोध जरुरी भी है और स्वाभाविक भी।
लेकिन जहां व्यक्तिगत पसंद का मामला है वहां ये भी हो कि अगर कोई कम सुविधाओं वाली जिन्दगी जीने में ज्यादा आनंद महसूस कर रहा है तो उसे भी दिखावा कहकर खारिज नहीं कर देना चाहिए।
अगर मुझे किसी महंगे होटल में जाकर चार-पांच हजार लूटाना पसंद नहीं, एक्सपेंसिव कपड़े यूज करना भी पसंद नहीं तो ये बिल्कुल मेरी व्यक्तिगत पसंद-नापसंद का मामला है।
किसी को जो खुशी होटल में जाकर मिलता है, अगर मुझे वही खुशी स्ट्रीट फुड में मिल जाये तो इसमें कुछ भी ऐसा नहीं है जिसकी तारीफ की जाय या फिर आलोचना।
दरअसल, हमें ब्लैक एंड व्हाईट देखने से बचते हुए अपनी जिन्दगी को, जीने के तरीके को खुद चुनने की आजादी मिले- यही आनंद है।
ऐसी बहसों से अक्सर अच्छी समझ के साथ बातें निकल कर आती हैं, नहीं तो मेरे बहुत सारे कॉमरेड दोस्त भी हैं जो जरुरी हवाई यात्राओं, कुछ महंगे होटलों में खाने, या फिर कभी कुछ ब्रांडेड कपड़े पहन लेने पर गैर-जनवादी का तमगा देने के लिए मचल उठते हैं। भले मौका मिलने पर सबसे पहली कतार में खड़े होते हैं, सारी सुविधाओं को जनता के हित में उपभोग करने के लिए
मामला ब्लैक एंड व्हाईट नजरीये का ही है कॉमरेड्स। सुधर जाओ।।