लड़कियां ज्यादा प्रेम करती हैं। लड़कों से प्रेम हो नहीं पाता। मेरी मानो तो लड़को को प्रेम करना बंद कर देना चाहिए- ज्यादातर बार वे सिर्फ ढ़ोंग कर रहे होते हैं।
लड़कियां अपना सबकुछ प्रेम को मान बैठती हैं। लड़के ऐन मौकों पर प्रेम से भाग बैठते हैं। उनके बस का नहीं।
ये दुनिया ऐसे भी चल सकती है अगर बची रह जाये लड़की और उनका प्रेम। लड़के न भी हों तो चल जाये...और उनका प्रेम....किसी डस्टबीन में जाने लायक सामान।
लड़कियां कभी प्रेम में सफल नहीं हो सकती, हार-जीत दोनों में उनका मैं खत्म हो जाता है- ज्यादातर मामलों में।
लड़के बचे रहते हैं, थोड़ी सी सीख जाते हैं दया, प्रेम, एहसास, लेकिन नहीं छोड़ बाते अपनी कमीनियत, वे वैसे ही बने रहते हैं।
एक हारा हुआ प्रेमी लड़की ही हो सकती है।
लड़के मतलब मैं...प्रेम पाने के लायक नहीं, प्रेम करने के लायक नहीं..प्रेम में डूबने के लायक नहीं..जिन्दगी बेतरतीब सा कुछ भी
लड़कियां अपना सबकुछ प्रेम को मान बैठती हैं। लड़के ऐन मौकों पर प्रेम से भाग बैठते हैं। उनके बस का नहीं।
ये दुनिया ऐसे भी चल सकती है अगर बची रह जाये लड़की और उनका प्रेम। लड़के न भी हों तो चल जाये...और उनका प्रेम....किसी डस्टबीन में जाने लायक सामान।
लड़कियां कभी प्रेम में सफल नहीं हो सकती, हार-जीत दोनों में उनका मैं खत्म हो जाता है- ज्यादातर मामलों में।
लड़के बचे रहते हैं, थोड़ी सी सीख जाते हैं दया, प्रेम, एहसास, लेकिन नहीं छोड़ बाते अपनी कमीनियत, वे वैसे ही बने रहते हैं।
एक हारा हुआ प्रेमी लड़की ही हो सकती है।
लड़के मतलब मैं...प्रेम पाने के लायक नहीं, प्रेम करने के लायक नहीं..प्रेम में डूबने के लायक नहीं..जिन्दगी बेतरतीब सा कुछ भी
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