Friday, February 17, 2017

हैल्लो डार्केनेस मेरे पुराने दोस्त

हैल्लो डार्केनेस, मेरे पुराने दोस्त
मैं एकबार फिर आ गया तुमसे बात करने
 क्योंकि मेरी नजर फिर से रेंगने लगी है
जब मैं सोया था उसने अपना बीज छोड़ दिया

और वो जो नजर मेरे दिमाग में बहुत पहले रोप दिया गया था
वो अबतक खामोशी की आवाज के साथ चिपकी है

अपने कठिन सपनो में मैं अकेला ही चलता जा रहा हूं
बहुत पतली सी गली है उस शहर की
उस पीली सी लैंपपोस्ट की रौशनी में
मैंने अपने कॉलर को ठीक किया है
सर्द रात है

जब मेरी आँखे रौशनी से चौधियाती है
मेरी रातें टूट जाती हैं
और मैं खामोशी की आवाज को सुनने लगता हूं

उस नंगी रौशनी में मैंने देखा
दस हजार और उससे भी ज्यादा लोग
आपस में बात कर रहे हैं
लोग सुन रहे हैं बिना सुने

लोग गीत लिख रहे हैं
ऐसी आवाज में जो पहले कभी नहीं सुनी गयी
और किसी में भी, किसी एक में भी नहीं है हिम्मत
कि वो खामोशी की आवाज को चुनौती दे सके


मुर्ख..मैंने कहा,
तुम्हें पता नहीं है क्या कि खामोशी कैंसर की तरह घर कर जाता है

सुनो मेरे शब्द कि मैं तुम्हें सीखा सकता हूं
मेरी बाँहे ले लो, कि मैं तुम तक पहुंच सकता हूं

लेकिन मेरे शब्द खामोश बारिश की बूंदे हो गयी
जो खामोशी के ही कूएँ में आवाज कर रही हैं
लोगों ने तारीफ की, प्रार्थनाएँ की मेरे लिये
सबने मेरी हालात पर चिन्ता जाहिर किया
सबने ही मेरे लिये अपने ईश्वर से रहम की भीख माँगी

शब्द बनते रहे, मैं पीछे छूटता रहा

मंदिरों के साइनबोर्ड पर ईश्वर खुद लिखने आया
लेकिन मैं सुन न पाया
खामोशी में कोई संगीत ।।

(Leonard cohen की The sound of Silence को तोड़-मरोड़ कर की गयी अनुवाद)

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