नींद और मेरा रिश्ता। मेरे साथ रहने वाले मुझसे रश्क करते हैं। उन्हें लगता है मैं नींद का लकी आदमी हूं। बात सच भी है। मैं पांच सेकंड या दस सेकंड के भीतर सो जाता हूं।
बहुत सारे वक्त में ऐसा लगा है लोगों को कि मैं उनकी बात नहीं सुन रहा, या कि मैं बहाना करके नींद में चला जाता हूं। जबकि नींद बहुत तेजी से आती है मुझे।
लेकिन मैं ये भी एक्सपिरियेंस करता हूं कि नींद की एक सीमा है। एक हद। उस हद तक अगर मैं जग जाउं तो फिर मुझे इनसोमैनिक होने से कोई नहीं रोक सकता।
नींद को जीत लेता हूं। उस एक हद को पार करते ही। लेकिन ऐसा बहुत कम ही हो पाता है।
दुर्भाग्य है कि ज्यादातर मामलों में शायद मैं जब अकेले होता हूं तभी ये जीत होती है। बहुत अकेले होने पर ही।
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बहुत सारे वक्त में ऐसा लगा है लोगों को कि मैं उनकी बात नहीं सुन रहा, या कि मैं बहाना करके नींद में चला जाता हूं। जबकि नींद बहुत तेजी से आती है मुझे।
लेकिन मैं ये भी एक्सपिरियेंस करता हूं कि नींद की एक सीमा है। एक हद। उस हद तक अगर मैं जग जाउं तो फिर मुझे इनसोमैनिक होने से कोई नहीं रोक सकता।
नींद को जीत लेता हूं। उस एक हद को पार करते ही। लेकिन ऐसा बहुत कम ही हो पाता है।
दुर्भाग्य है कि ज्यादातर मामलों में शायद मैं जब अकेले होता हूं तभी ये जीत होती है। बहुत अकेले होने पर ही।
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क्या मैं
बहुत बेचैनी
मुझे लगता है
मैं इंट्रोवर्ट हूं
ऐसा लोग भी कहते हैं मुझसे
मैं बात ही नहीं करता
मुझे इस बारे में पढ़ना चाहिए
कभी सोचा ही नहीं ऐसा कुछ
कभी किसी ने बताया भी तो नहीं
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बेचैनी का भी हल निकलेगा।
मैं बहुत लिख नहीं पाता तो इसलिए कि अब मुझे कुछ नया लिखना है
और नया लिखने के लिये
नये अनुभव बेहद जरुरी हैं।
शहर के भीतर
या शहर से काफी दूर
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