Thursday, December 1, 2011

बीच बहस में

मीडिया का चोचला या विपक्ष का टोटका
आजकल मीडिया में विपक्ष की संसद न चलने देने के कारण कड़ी आलोचना की जा रही है।संसद न चलने देने का सारा दोष विप

क्ष पर ही मढ़ा जा रहा है।
जबकि यह समझने की जरुरत है कि विपक्ष का काम ही सरकार के गलत निर्णयों का विरोध करना और संसद में इसका विरोध करना है। यदि विपक्ष अपनी सजग भूमिका नहीं निभाती है तो यह संसद के लिए ज्यादा खतरनाक होता।यह माना जा सकता है कि संसद की कार्यवाही को चलाने के लिए 1.5करोड़ रूपये एक दिन में खर्च होते हैं। लेकिन मीडिया में ऐसा दिखाया जा रहा है कि जनता के ये पैसे विपक्ष के गैर-जिम्मेदराना व्यवहार से किस तरह बर्बाद हो रहे हैं।

जाने-अनजाने
में मीडिया निश्चित तौर पर जनता में भ्रम की स्थिति पैदा करना चाह रहा है। वो संसद
में खर्च हो रहे पैसे के लिए चिंताकुल तो है।किन्तु, 20 करोड़ लोग जो असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं के भविष्य अधर में लटकने की चिंता नहीं है।
मीडिया की इस परेशानी को भी समझा जा सकता है।आज मीडिया जिस तरह से कॉरपोरेट दबाव में काम करने को मजबूर है।उससे इससे ज्यादा की उम्मीद भी नहीं की जा सकती। लेकिन जरूरत विपक्ष की भूमिका को फिर से परिभाषित करने की जिम्मेवारी भी करने की जिम्मेवारी भी इसी कॉरपोरेटी मीडिया पर है।

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