सब झूठ है
हम सब अपने अपने झूठ के साथ जी रहे हैं
अपने अपने गुजरे सोचे और महसूस किये सच को झूठ बोल बोल कर बेच रहे हैं।।
क्या बनने चले थे। और क्या बन गये।
सच के आदर्शों की जगह झूठ का एक पुलिंदा।।।
अपनी इमानदारी विचारधारा और अच्छाई सबको बेचते हुए हम एक झूठी ज़िन्दगी जी रहे।।।।।।
हम सब अपने अपने झूठ के साथ जी रहे हैं
अपने अपने गुजरे सोचे और महसूस किये सच को झूठ बोल बोल कर बेच रहे हैं।।
क्या बनने चले थे। और क्या बन गये।
सच के आदर्शों की जगह झूठ का एक पुलिंदा।।।
अपनी इमानदारी विचारधारा और अच्छाई सबको बेचते हुए हम एक झूठी ज़िन्दगी जी रहे।।।।।।
No comments:
Post a Comment