Monday, June 19, 2017

थोड़ा सा बाहर भी टहलिये..

फेसबुक से बाहर झांकने की जरुरत है। अपने आसपास की रोजमर्रा की जिन्दगी से भी बाहर ताक-झांक करना जरुरी है। अपने तरह के, अपने ही सर्कल के, काम-धंधे के लोगों से इतर लोगों से मिलना जरुरी है।
शहर में हो, दिल्ली में हो तो थोड़ा बाहर निकलना बहुत जरुरी है। वीकेंड में नये लोगों से मिलना जरुरी है। दिल्ली में हो तो बस्तियों में जाना जरुरी है, लोगों की जिन्दगी देखना जरुरी है, उनकी कहानियों को सुनना जरुरी है। अजनबी लोगों से मिले प्यार आपको अंचभित कर देंगे- फेसबुक पर वो स्नेह खोजे नहीं मिलेगा। वीकेंड में शहर की सीमा से थोड़ा दूर निकल जाईये...खेतों में जाईये, नदी के पास जाकर बैठिये, नये-नये लोगों से मिलिये, फेसबुक वाले दोस्तों से बार-बार मिलने से बचिये।
देखिये जिन्दगी देखने का नजरिया बदल जायेगा। सही-गलत से परे, लेफ्ट-राईट से इतर, मोदी-फोदी से बहुत दूर एक खूबसूरत दुनिया है, उसे भी जानना जरुरी है। उस दुनिया की मुश्किलें हैं उन्हें जानना जरुरी है। आपके लिखे में सिर्फ और सिर्फ सोशल मीडिया से प्राप्त ज्ञान है तो दिक्कत है, सिर्फ और सिर्फ किताबी अनुभव है तो दिक्कत है।
बदलिये...बदलिये क्योंकि बदलना जरुरी है। नहीं तो ये पॉपुलर कम्यूनिकेशन के सारे टूल्स आपको बिमार बना रहे हैं।
सोशल मीडिया बहुत जरुरी है, बहुत अहम है, लेकिन ऑफ्टरऑल बैलेंस उससे भी ज्यादा जरुरी है।

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