Saturday, December 29, 2012

‘‘विकास’’ ने लीला पति, सुगिया के द्वारा सुदर्शन की खोज जारी।



तियरा में दिखी बैगा जनजाति के ‘‘संरक्षित’’ घोषित होने की सच्चाई।

प्रस्तुत है लोक संघर्ष यात्रा के तीसरे दिन की वार्ताओं का संक्षेप।

यात्रा के तीसरे दिन का प्रथम पड़ाव हर्रहवा ग्राम पंचायत भवन बना, जहा पहले से लोग यात्रियों का इन्तजा़र कर रहे थे। ग्राम पंचायत स्तर पर सभी लोगों ने विस्तार से बात की और बताया की रिलायंस के इस 3960 मेगावाट बिजली संयंत्र  किस कदर गांव और आस पास के जान माल का नुकसान किया है। आज कि बैठक में यह तय किया गया कि पंचायत स्तर पर एक समिति बनाकर गांव के लोग प्रतिरोध करें और यात्रा में शामिल संगठनों के लोग उनका सहयोग करें।

स्थानीय श्री जीतलाल ने बताया कि रिलायंस के अधिकारीगण अक्सर गांव मे आकर हमें जल्द से जल्द गांव छोड़ देने के लिए दबाव बनाते हैं। उन्होंने कहा कि जब उनसे पूनर्वास के बावत् पुछा जाता है तो वे कहते हैं कि जाकर शिवराज सिंह चोहान से बात करो उसके ही कहने से कंपनी यहं आई है। उनकी मनमानियों का उदाहरण देते हुए पंचायत भवन पर एकत्र हुए लोगों ने उत्पीड़न के एैसे एैसे वाकए गिनाए जिससे कि शहरों में सुने जाने वाले विकास के जुमले की हकीकत पता चलती है। 

गांव वालों ने ऐसे घर दिखाए जिन्हें बिना किसी पुर्व सूचना के ही रातो रात गिरा दिया गया और घर मे मौजुद लोगों को सारे समान छोड़ कर जान बचाकर भागना पड़ा, वे खेत दिखाए जिनपर लहलहाती फसल को बुलडोजर से कुचलकर सपाट मैदान तैयार किया गया और फिर सड़के बना ली गईं, वे मकान दिखाए जिन्हें गैर रिहायशी बताकर मुआवजा देने से इन्कार कर दिया गया और एैसे लोगों से मिलवाया जिन्हें कम्पनी और जिला प्रशासन की मिलीभगत से कागज पर मृत दिखाते हुए उनकी सम्पत्ती का मुआवजा आपस में बांट लिया गया।

यहां से आगे बढकर यात्रा श्रीमती सुगिया रजक के घर पहुंची। श्रीमती रजक सुदर्शन रजक की पत्नी हैं और पिछले साढे तीन साल से श्री रजक को ढुंढ रहीं हैं। रजक परिवार ने अपनी जमीन रिलायंस को औने पौने दाम पर देने से इन्कार कर दिया था। रिलायंस के अधिकारीगण वी.वी सिह, संग्राम सिंह, और बैढन थाना के एस आई बी एल तिवारी से इसी सिलसिले में कहासुनी होने के बाद श्री रजक दिनांक 30.05.09 से गायब हैं। श्रीमती रजक और पुरा परिवार आज तक करीबन हर जगह अपनी गुहार लगा चुका है पर उन्हें खोजने की सभी कोशिशें केवल थाने मे रिपोर्ट लिख लेने भर सीमित रह गईं। 

यहां से आगे बढकर यात्रा तियरा गांव मे पहुंची जहां केन्द्र सरकार द्वारा घोषित, ‘संरक्षित जनजाती‘ बैगा आदिवासी रहते हैं। इन्हें कम्पनी ने अपनी रिहायसी कालोनी बनाने के लिए उजाड़ा है। अपने स्वभाव के अनूसार ही इन बैगा परीवारों ने नोटिस मिलते ही चुपचाप अपनी जगह छोड़ दी और सड़क के दुसरी ओर जहां जैसी जगह मिली वहीं बस गयें। मुआवजे के रूप मे भी जो मिला ले लिया ।  उनके रहने की जगह देख कर यह बात साफ समझ मे आई की उनके भोलेपन का फायदा उठाते हुए उनके अधिकारों का संगीन हनन किया गया है। 

यात्रा मे शामिल लोग की सलाह पर लोकविद्या आश्रम ने यात्रा के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित करने का निर्णय किया है जिससे कि ‘देश हित में होते विकास‘ की कीमत किस कदर चुकाई जा रही है और कौन लोग चुका रहें हैं इसे समझा जा सकेगा।  

द्वारा 
रवि शेखर 
लोकविद्या आश्रम सिंगरौली मध्य प्रदेश 
08225935420/599 

Tuesday, December 25, 2012

गुस्सा का बंटनाः दिल्ली बनाम सहरसा

दृश्य 1- दिल्ली में एक लड़की के साथ गैंग रेप होता है. रेप के बाद बड़ी निर्दयता के साथ उस लड़की को जख्मी कर सड़क पर फेंक भी दिया जाता है..घंटों सड़क पर नंग्न पड़ी उसी लड़की और उसके दोस्त को कोई उठाने वाला नहीं दिल्ली की सड़कों पर नहीं है।

दृश्य 2- सहरसा में देर शाम एक आठ साल की बच्ची का बलात्कार होता है और सुबह उसके मां-बाप को उसकी लाश मिलती है।

दोनों ही मामले में बस दिल्ली और सहरसा की दूरी का फर्क है..दरिंदगी..बराबर
लेकिन दिल्ली वाले मामले में घटना के सुबह टीवी में खबर आने लगती है..सहरसा वाले मामले में कहीं कोई चर्चा नहीं..

फिर जेएनयू के छात्र मुनिरका में सड़क जाम कर घटना में तुरंत कार्रवायी की मांग करते हैं..मीडिया में घटना का महाकवरेज शुरु होता है....सालों से लगातार रेप..छेड़खानी झेल रही लड़की..बाप..भाई सड़कों पर उतरने लगते हैं..कुछ माहौल फेसबुक, ट्विटर बनाता है।

दिल्ली में हुए गैंग रेप के विरोध में अचानक ही पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन शुरु हो जाते हैं और इस विरोध प्रदर्शन की आलोचना भी..
इस प्रदर्शन में दिल्ली के मीडिल क्लास के लोग शामिल हुए..ज्यादातर वही जनलोकपाल के लिए शनिवार-रविवारी क्रांति करने वाले लोग..
दिल्ली जैसे इलिट जगह की ये इलिट विरोध में पूरा देश शामिल हो रहा है..इन प्रदर्शनों में ज्यादातर लोग फोटो खिंचाने आने वाले...नेशनल मीडिया में अपना चेहरा दिखाने वाले लोग ही शामिल हैं..एक रिपोर्टर घटना बताते हैं कि एक सरदार जी पोस्टर लिये कैमरे के सामने चिल्लाते दिखते हैं और कैमरा ऑफ होते ही पोस्टर किनारा करते हुए अपने रास्ते हो लेते हैं..
जहां एक ओर सहरसा में हुए घटना कि किसी को जानकारी तक नहीं है वहीं दूर दिल्ली वाली घटना के खिलाफ मीडिया में छपने के लिए पटना में भी संगठन सड़क पर उतरने लगे..
इस गुस्साई भीड़ में कोई राजनीतिक समझ नहीं है..वे लोग फांसी की मांग कर रहे हैं तो कुछ लोग आरोपी को सरेआम हत्या करने और उनकी लिंग काटने की बात कर रहे हैं..
इस भीड़ को दक्षिणपंथी और भाजपा समर्थित लोग चला रहे हैं..इसे आंदोलन का रुप दिया जा रहा है..इस मुद्दे को राजनीतिक रंग में रंगा जा रहा है..

लेकिन दूसरी तरफ कुछ और भी है जो कहना जरुरी है..
ठीक है कि ये मीडिल क्लास का विरोध है..गुस्सा है..वही मीडिल क्लास जिसके लिए अच्छी सरकार का मतलब सिर्फ पेट्रोल..गैस..और डीजल के दाम न बढा़ने वाली नीतियां हैं..जो मंहगाई होने पर सरकार को कोसने लग जाते हैं, जिनके लिए जनसरोकार का कोई मतलब नहीं..लेकिन फिर भी ये वहीं लोग हैं कि जिनकी आलोचना- खाए..पीए और अघाए लोग कहकर की जाती रही है...
इन प्रदर्शनों ने इतना तो साफ संकेत दे दिया है लोगों का गुस्सा अब सड़क पर दिखने लगा है...सरकारे अब कोई भी कदम उठाने से पहले जानती है कि ये जनता अब सिर्फ डायनिंग हॉल में बैठकर कोसती नहीं है बल्कि सड़क पर उतर कर लड़ती भी है..

इस गुस्साई भीड़ को कुछ लोग लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह बता रहे हैं..उनके लिए लोकतंत्र अच्छा बना रहता है जब इस देश की ज्यादाततर आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजरृबसर करने के लिए मजबूर हैं...उनके लिए ये संसद भी पवित्र चीज है जो इतने सालों से महिलाओं को आरक्षण संबंधी बिल पास नहीं करवा पाती है..

कुछ लोग इस प्रदर्शन के आंदोलन रुप लेने पर नाराज हैं..तो कुछ लोग इसके भगवा करण होते जाने पर..जब तक इस आंदोलन को राजनीतिक आकार नहीं दिया जाएगा..ये गुस्साई भीड़ फांसी और लिंग काटने की मांग करती रहेगी.और अगर इस भीड़ को प्रगतिशील अपने हाथों नेतृत्व करने के लिए..इस भीड़ में शामिल न होने के लिए नहीं आगे आते हैं तब तक इसके भगवाकरण होते जाने का खतरा बना रहेगा..

ठीक है इसमें सहरसा वाला मामला कहीं नहीं हैं..लेकिन किसी ने फेसबुक पर ही लिखा है अगर दिल्ली वाले दिल्ली की बात कर रहे हैं तो पटना वालों को पटना..भोपाल वालों को भोपाल की बात करनी ही होगी..पटना में कुछ संगठनों ने ऐसा विरोध प्रदर्शन कर अपनी बात को जाहिर भी किया..
क्रमशः

Friday, December 21, 2012

Diary of a Delhi girl by sushil jha

दिल्ली में हुए गैंगरेप पर बहुत लिखा जा चुका है और बहुत लिखना बांकि होगा..लेकिन हमेशा बेबाकी से अपने आसपास के बेतुकेपन पर लिखने वाले पत्रकार सुशील झा ने लगातार फेसबुक पर इस रेप और दिल्ली के रेप कैरेक्टर पर लिखा वो भीड़ से अलग तो है ही। साथ ही, उन लोगों के लिए भी एक सबक है जो ज्ञान तो लंबी-लंबी दे लेते हैं लेकिन जब चीजों को बेबाकी और अख्ड़पन से लोगों के सामने रखने की बात होती है तो कन्नी काटते नजर आते हैं..ये एफबी अपडेट गंभीरता का चोला नहीं पहने हैं..बल्कि आपको भीतर से मारते हैं..हर शब्द पढ़ने के बाद अजीब सा कसक पैदा करता है..इसको पढ़ने के बाद आप सोचने के लिए मजबूर नहीं होते क्योंकि इसके बाद दिमाग सोचने लायक नहीं रह पाता..झन्ना उठता है..शायद गिरेबां में झांकने को मजबूर करे सो अलग बात है..
मैंने इन स्टेट्स अपडेट को सहेज कर रखने का प्रयास किया है ताकि कुछ चीजें फेसबुक की भीड़ में खो न जाए..



मेरा स्कूल दिल्ली में नेहरु प्लेस के पास ही है. वहीं एक फ्लाईओवर भी है. फुटपॉथ की तरफ थोड़ा सूना और छाया वाली जगह है...जहां लिखा हुआ होता है..गधे के पूत यहां मत मूत....लेकिन फिर भी गधे मूतते हैं...मैं और मेरी दोस्त 11-12 साल के होंगे...हमने गधों की तरफ देखा भी नहीं था लेकिन अचानक लगा कोई इशारा कर रहा है. नज़र घुमाई तो देखे एक चालीस साल का गधा अपने गधेपन की निशानी निकाल कर हमें दिखा रहा था. आगे बढ़ गए..समझ भी नहीं पाए कि आखिर हुआ क्या..ये तो छिपाने की चीज़ होती है घर में. (Diary of a Delhi girl Part I)


मेरा स्कूल दिल्ली में नेहरु प्लेस के पास ही है. वहीं एक फ्लाईओवर भी है. फुटपॉथ की तरफ थोड़ा सूना और छाया वाली जगह है...जहां लिखा हुआ होता है..गधे के पूत यहां मत मूत....लेकिन फिर भी गधे मूतते हैं...मैं और मेरी दोस्त 11-12 साल के होंगे...हमने गधों की तरफ देखा भी नहीं था लेकिन अचानक लगा कोई इशारा कर रहा है. नज़र घुमाई तो देखे एक चालीस साल का गधा अपने गधेपन की निशानी निकाल कर हमें दिखा रहा था. आगे बढ़ गए..समझ भी नहीं पाए कि आखिर हुआ क्या..ये तो छिपाने की चीज़ होती है घर में. (Diary of a Delhi girl Part I)


स्कूल से आने वाली ब्लूलाइन बसों में भीड़ तो होती ही है. दसवीं में थे और स्कर्ट पहनते थे. कई बार होता था. पीछे से कुछ चुभने जैसा महसूस होता था..समझ में आ जाता था कि कुछ गड़बड़ है. कभी चिल्लाए..कभी किनारे हो लिए..कभी सीट मिलती साइड वाली तो अधेड़ से लेकर युवक तक लड़कियों के कंधे से कुछ सटाने की कोशिश में दिख जाते......पता नहीं मुझे ही ऐसा लगता है या सारी अंजलि, अनामिका और अनुष्का- सबको ऐसा लगता है... (Diary of a Delhi Girl Part 3)

धौला कुआं...के पास बड़े कॉलेज हैं..दोपहरी में हम चार दोस्त आ रहे थे. मेरी बस एक लेन में आती थी. बाकी दोस्तों को छोड़कर उधर बढ़ गई..पीछे से एक कार आकर रुकी और लगा कि वो कुछ पूछ रहे हैं. मैंने रुक कर पूछा तो देखा..खिड़की के पास बैठा लड़का अपनी नामर्दगी पैंट से निकाल कर कह रहा था...do you want a free ride…..मैं ज़ोर से भागी और दोस्तों के पास आ गई थी.....मैं दिल्ली में रहती हूं. (Diary of a Delhi Girl-part 4)


जेएनयू से वसंत कुंज बहुत दूर नहीं है. बारिश हो रही थी और पापा को आने में देर हो गई थी. भीग गई थी. बस स्टैंड पर कई लोग थे..बड़ी सी कार रुकी एकदम पास.मैं तुरंत पीछे हट गई..शीशा खुला और ऐसे नज़रें डाली गई कि मानो मैं वेश्या हूं और कार का ही इंतज़ार कर रही हूं..पापा पंद्रह मिनट लेट हुए होंगे और मैं इतनी देर में पंद्रह सौ बार मरी....दिल्ली की सड़कों पर हम हर रोज़ मरते हैं....बस ये दिखता कभी कभी है. (Diary of a Delhi Girl- Part 5 and Final)


आखिरी किस्त में बस इतना जोड़ूंगा कि ये दिल्ली में पिछले दस वर्षों से रह रही एक लड़की ने मुझे बताया था....नाम लिखना उचित नहीं लगा इसलिए उसका नाम नहीं लिखा...जो घटनाएं हैं..उनमें से कुछ तो मैंने खुद देखी हैं होते हुए...सबसे खतरनाक बात है कि छेड़ने वालों में 35 से ऊपर की उम्र वाले अधेड़ लोग अधिक होते हैं.....45 से ऊपर का कोई आदमी हो तो लड़कियां उन्हें और शक की निगाह से देखती हैं.    

Wednesday, December 19, 2012

डियर मुख्यमंत्री, यूपी

प्रति,
मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश, शासन

विषय- 12 दिसम्बर 2012 को आजमगढ़ में दिये गये धरने का मांग पत्र।

1- तारिक-खालिद की फर्जी गिरफ्तारी पर गठित आरडी निमेष जांच आयोग रिपोर्ट
को तत्काल सार्वजनिक किया जाए।
2- आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों को रिहा करने का वादा तत्काल पूरा किया जाए।
3- 1992 में कानपुर में हुये साम्प्रदायिक हिंसा में साम्प्रदायिक तत्वों
को संरक्षण देने के आरोपी तत्कालीन एसएसपी और वर्तमान डीजीपी ए सी शर्मा
की भूमिका की जांच के लिये गठित जस्टिस आई एस माथुर आयोग की रिपोर्ट को
तत्काल सावर्जनिक किया जाए।
4- आतंकवाद के मामलों के लिये विशेष न्यायालय गठित करते हुये उन्हें
जमानत पर रिहा कर सुनवायी दिन-प्रतिदिन की जाए जिससे न्याय जल्द से जल्द
हो सके।
5- आतंकवाद के आरोप में बरी हुये लोगों को मुआवजा और उचित पुनर्वास की
व्यवस्था की जाए।
6- आतंकवाद के आरोप में निर्दोषों को फंसाने वाले पुलिसकर्मियों पर
कानूनी कार्रवायी की जाए।
7- मौजूदा सरकार के शासनकाल में हुये सभी साम्प्रदायिक दंगों की सीबीआई
जांच करायी जाए।
8- कानपुर में 2008 में बम बनाते समय हुये विस्फोट में मारे गये बजरंग दल
के नेताओं के मामले की सीबीआई जांच करायी जाए।
9- प्रदेश में हुये सभी आतंकी घटनाओं की सीबीआई जांच करायी जाए।
10- मई में एटीएस द्वारा उठाये गये सीतापुर के निवासी शकील के मामले में
न्यायिक जांच करायी जाए।
11- 31 दिसम्बर 2007 तथा 1 जनवरी 2008 के बीच की रात रामपुर में हुये
कथित आतंकी हमले की न्यायिक जांच करायी जाये तथा दोषी पाए जाने वाले
पुलिसजन तथा सीआरपीएफफ के अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाए।
12- सहकारिता भवन लखनऊ में 15 अगस्त 2000 को, श्रमजीवी एक्सप्रेस बम
कांड, बाबरी मस्जिद/राम मंदिर परिसर में हुये कथित आतंकी हमला, संकटमोचन,
कैंट स्टेशन बाराणसी धमाका, राहुल गांधी पर 2007 में हुये कथित आतंकी
हमले, 23 दिसम्बर 2007 चिनहट लखनऊ में हुये आतंकवाद के नाम पर कथित
एंकाउंटर, गोरखपुर में हुये आतंकी हमले की सीबीआई जांच करायी जाए।
13- बाटला हाउस फजऱ्ी मुठभेड़ पर संसद में खामोशी क्यों? सरकार स्थिति स्पष्ट करे।
14- राजनीतिक व सामाजिक संगठनों की गतिविधियों पर खुफिया विभाग की
रिपोर्ट को सूचना के अधिकार के तहत लाया जाए।
15- पुलिस अधिकारियों को दुनिया के सबसे बडे आतंकी देशों इजराइल और
अमरीका ट्रेनिंग के लिये भेजना तत्काल बंद किया जाए।
16- राज्य सरकार में मंत्री शिवपाल सिंह यादव द्वारा पिछले दिनों इजराइल
की यात्रा पर इजराइल से अपने सम्बंधों पर सरकार स्थिति स्पष्ट करे।

द्वारा- मो शुऐब, मो सुलेमान, तारिक शमीम, डा0 जावेद अख्तर, जयप्रकाश
राय, जावेद एडवोकेट, हाजी अहमद हुसैन, रविन्द्र नाथ राय, विनोद यादव,
तारिक शफिक, आरिफ नसीम, अंशुमाला ,शिवा, सरोज, कंचन, पुनम, मसीहुद्दीन।

भारतीय सेना अपने ही देश वासियों को कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर तक गोलियों से छलनी कर रही है।



फैजाबाद 19 दिसंबर 2012/ आज देश के सामने अपनी सम्प्रभुता बचाने की
चुनौती है। सरकारों ने अमरीका के सामने अपनी नीतियां गिरवी रख दी हैं, इस
अमरीकी नीति के तहत ही एक तरफ एफडीआई के रुप में वालमार्ट जैसी कंपनियां
आ रही हैं तो वहीं मुस्लिम युवकों को आतंकवाद के नाम पर जेलों में सड़ाया
जा रहा है, इस चुनौती से पूरी जनता को मिलकर लड़ना होगा। यही अशफाक उल्ला
खंा समेत सभी शहीदों को सच्ची श्रंद्धाजलि होगी। यह बातें पूर्व सांसद और
माकपा नेता सुभाषिनी अली ने ‘साझी विरासत की चुनौतियां’ सम्मेलन में
कहीं।
फार्बिस इंटर कालेज में आयोजित इस सम्मेलन में वरिष्ठ मानवाधिकार नेता
गौतम नवलखा ने कहा कि 60 साल बाद आजादी झूठी साबित हो गई है। भारतीय सेना
अपने ही देश वासियों को कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर तक गोलियों से छलनी कर
रही है। मुसलमानों और आदिवासियों को आंतरिक शत्रु के बतौर खड़ा कर देश को
कथित लोकतंत्र द्वारा चुनी गई सरकारें ही बांटने पर तुली हैं, जिसका
मुकाबला जनता को करना होगा।
पूर्व पुलिस महानिरिक्षक एसआर दारापुरी ने पिछले दिनो संसद में आतंकवाद
को रोकने के नाम पर काले कानूनों को पास करने का सवाल उठाते हुए कहा कि
उनका मकसद पुलिस को वो सारी शक्तियां दे देना है जिससे मुस्लिमों,
आदिवासियों, दलितों का दमन करना है।
वेलफेयर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कासिम रसूल इलियास ने कहा कि साझी
विरासत को बचाने के लिए जरुरी है कि सभी आतंकी घटनाओं की जांच कराई जाय
क्योंकि इन घटनाओं में अक्सर मुस्लिमों को फसाया जाता है जो 15-15 साल
बाद बेदाग छूटते हैं। जिससे उस आदमी की जिन्दगी तबाह हो जाती है और इसका
फायदा सांप्रदायिक शक्तियां मुसलमानों को बदनाम कर उठाती हैं।
आॅॅल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के नेता और इलाहाबाद विवि के पूर्व छात्र संघ
अध्यक्ष लाल बहादुर सिंह ने कहा कि बाबरी विध्वंस के बाद फैजाबाद में
दंगा नहीं हुआ लेकिन मुसलमानों की हमदर्द बनने वाली सपा सरकार के शासन
में दंगा हो गया जो सपा के सांप्रदायिक मंसूबे को दिखाता है जो भाजपा की
मिलीभगत के साथ यूपी को गुजरात बनाने पर तुले हैं।
वरिष्ठ भाकपा माले नेता मुहम्मद सलीम ने कहा कि भारत की धर्मनिरपेक्षता
की रक्षा सपा या कांग्रेस नहीं कर सकती इसे इस देश की जनता अपनी साझी
विरासत के मूल्यों से फासीवादी सरकारों के खिलाफ लड़कर करेगी। अशफाक और
राम प्रसाद बिस्मिल की साझी शहादतों का दौर अभी जारी है,, क्योंकि राज्य
का दमन बदस्तूर जारी है, ऐसे में यह लड़ाई नए भारत का निर्माण करेगी।
रिहाई मंच के संयोजक मुहम्मद शुऐब ने कहा कि आईबी देश को आतंकवाद के नाम
पर बांटने की कोशिश में लगी हैं। उन्होंने कहा कि आरडी निमेश जांच आयोग
की रिपोर्ट बताती है कि कचहरी विस्फोट में पकड़े गए तारिक और खालिद
निर्दोष हैं और उन्हें एटीएस और खुफिया एजेंसियों ने फंसाया है, लेकिन
सपा सरकार इस रिपोर्ट को जारी न कर दोषी अधिकारियों को बचाने में लगी है।
पीयूसीएल नेता महताब आलम ने कहा कि आपरेशन ग्रीन हंट और आतंकवाद के नाम
पर आदिवासियों-मुसलमानों का दंमन कर सरकारें साम्राज्य विरोधी आंदोलन को
कमजोर कर रही है।
अध्यक्षता कामरेड सीताराम वर्मा और संचालन अनिल सिंह ने किया। डीवाईएफआई
द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में सत्भान सिंह जनवादी, गुफरान, हाफिज अब्दुल
हफीज, सैयद निजाम अशरफ, जलाल सिद्किी, तारिक सईद सुधीर सिंह, केपीसिंह,
दिनेश सिंह, कमलेश यादव, आरडी आनंद, स्वप्निल श्रीवास्तव, मंजर मेहदी,
रघुवंश मणि, जीतेेन्द्र राव, आरजे यादवख् जमुना सिंह, आफाक, शाहआलम,
राजीव यादव इत्यादि लोग उपस्थित थे।
द्वारा जारी-
अनिल सिंह
094515917628

बेकाबू

 रात के ठीक एक बजे के पहले. मेरी बॉलकनी से ठीक आठ खिड़कियां खुलती हैं. तीन खिड़कियों में लैपटॉप का स्क्रीन. एक में कोई कोरियन सीरिज. दो काफी...