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Wednesday, January 2, 2013

छोटी सी गलती ने बिगाड़ा वॉलीबाल के खेल

अत्याधुनिक सुविधाओं वाले कंकड़बाग स्थित पाटलिपुत्र खेल परिसर के लिए इंतजार करीब बीस वर्षों से था। इस बीच खिलाड़ी की दो पीढ़ियों के सपने, सपने ही रह गए। इसने मूर्त रुप लिया, तो खेलने वालों में उम्मीदें भी जगीं लेकिन वॉलीबॉल के खिलाड़ी की उम्मीदों को पलीता लग गया। क्योंकि स्टेडियम में इंडोर स्टेडियम के डिजायन करने में हुई चूक ने इस खेल को इनडोर स्टेडियम से वॉलीबॉल के खेल को बाहर कर दिया है। हद को यह है कि डिजायन से संबंधित अधिकारी अब इसके स्ट्रक्चर में किसी भी तरह के परिवर्तन से इंकार कर रहे हैं। फिलहाल पटना शहर में वॉलीबॉल के लिए कोई इंडोर स्टेडियम नहीं है।
पाटलीपुत्र खेल परिसर को अत्याधुनिक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। इसी परिसर में एक इंडोर स्टेडियम का भी निर्माण किया गया है। इसमें २५०० लोगों के बैठने की जगह, आधुनिक लाइट, कान्फ्रेंस रुम, साउंड सिस्टम, आदि की व्यवस्था की गयी है। इस स्टेडियम का निर्माण मल्टीपरपस खेलों के लिए किया गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार इसको बनाने में लगभग ५० करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। लेकिन एक छोटी सी गलती ने इस इंडोर स्टेिडयम से वॉलीबॉल के खेल को बाहर कर दिया है। दरअसल किसी भी वालीबॉल कोर्ट की ऊंचाई कम-से-कम १५ मीटर तक होनी चाहिए। जबकि इस इंडोर स्टेडियम की ऊंचाई १५ मीटर से भी कम है। ऐसे में यहां कोई राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय मैच का आयोजन भी संभव नहीं होगा।
पाटलीपुत्रा खेल परिसर को डिजयान करने वाली कंपनी आर्क एंड डिजायन के अधिकारी के अनुसार इस इंडोर स्टेडियम का डिजायन पुराने आइडियल मैप के अनुसार ही किया गया है। इसलिए अब किसी खेल के लिए उसमें बदलाव संभव नहीं है।
बिहार में वॉलीबाल की टीम तो हे जो हर साल राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेती है लेकिन आज तक कोई भी टूर्नामेंट नहीं जीत पायी है। वहीं बिहार के एक भी खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं बना पाये हैं। रामाशीष सिंह इसके लिए सुविधाओं के अभाव को जिम्मेदार मानते हैं। वॉलीबाल खिलाड़ी को न तो सही सुविधाएं दी जा रही हैं और न ही मैच खेलने के लिए जगह ही मुहैया करायी जा रही है।
कोटः
यह स्टेडियम बनाने वाले अथॉरिटी की लापरवाही का नतीजा है। इस स्टेडियम को बनाने में न तो पैसे की कमी थी और न ही जगह की। वो आगे कहते हैं कि स्टेडियम को बनाने से पहले खेलों से जुड़े विशेषज्ञों से राय-मशविरा करनी चाहिए थी और सभी खेल के नियमों के अनुसार स्टेडियम का डिजायन होना चाहिए था
रामाशीष सिंह, सचिव, बिहार वॉलीबाल एसोसिएशन

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