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Friday, August 22, 2014

कुछ चेहरे बहुत कुछ कहते हैं

महान जंगल, सिंगरौली के एक गांव में, जो कोयले की खदान से विस्थापित होने वाला है



गांव के लोग कुछ रास्ता तलाश रहे हैं- संघर्ष, आंदोलन या फिर विस्थापन

संघर्ष और विस्थापन में से इन्होंने चुना है अपने लिये संघर्ष। आदिवासियों का संघर्ष।।

आदिवासियों का संघर्ष है अपने जंगल बचाने को, हमारी दुनिया भी


जीत या हार। जरुरी है संघर्ष परिणाम चाहे जो हो। उम्मीद और आंदोलन। आशाएँ



संघर्ष के लिए जरुरी है एकता। इसलिए आसपास के गांव वाले संगठित हो गए हैं। आवाज दो हम एक हैं।





अब गांव के लोग सवाल करना सीख गए हैं, सीख गए हैं शक की निगाह से निजाम को देखना





संघर्ष के सफर में ये कभी जीतते हैं, कभी हारते, लेकिन लड़ाई की खुशी और जज्बा ज्यों-का-त्यों बरकरार



उम्मीद की हँसी ज्यादा बड़ी है न। हार या जीत से कहीं ज्यादा। महान जंगल जिन्दाबाद




इसलिए हमने हँसना ठाना है। हमने लड़ना ठाना है। अपनी मुस्कुराहटों को हासिल करना ठाना है। जिन्दाबाद


पिक्स क्रेडिट - अविनाश कुमार चंचल

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 क्या ऐसे भी बुदबुदाया जा सकता है?  कुछ जो न कहा जा सके,  जो रहे हमेशा ही चलता भीतर  एक हाथ भर की दूरी पर रहने वाली बातें, उन बातों को याद क...