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Tuesday, April 15, 2014

पहाड़ में जिन्दगी

सनसेट प्वाइंट


हिमाचल प्रदेश। मैकलॉडगंज। पहाड़। जिन्दगी। शाम को ढ़लता सूरज। कुछ बुद्ध के अनुयायी लामा। 

एक रात ढ़लते सूरज को देखा तो दूसरे सुबह खुलते बाजार, स्कूल जाते बच्चे, नल के पास पानी का इंतजार करता लड़का, एक पुरानी दुकान।

डिस्कलेमरः अच्छी तस्वीरों का क्रेडिट मुझे और बुरी तस्वीरों का मेरे कैमरे को :P

दूर इक हिमालय खड़ा है

पत्थर पूजे हरि मिले

सच बताउं तो कर्मकांड के विरोध में बने बौद्ध धर्म में भी कई कर्मकांड घुस गए हैं

एक आध्यात्मिक सनसेट

न जाने किससे छिपके भाग रहा है सूरज
 
शिवा कैफे। हिप्पी। गांजा, मार्ले और मेरे लिए ब्लैक टी





अंग्रेजी शहर सा फील दे रहा था हिल स्टेशन

फोटो क्रेडिटः वॉचमैन होटल। जिसे मैंने पांच बजे सुबह ही जगा दिया। थैंक्स दोस्त

शाम को शहर मैकलोडगंज
तिब्बती विद्रोह और लोगों के आजाद होने की चाह हर दीवार पर

चाइना वालोंः फ्री तिब्बत प्लीज

हर देश अपने साथ-साथ कल्चर को भी लेते चलने की कोशिश तो कर ही सकता है। विस्थापन के बावजूद

सुबह के 7 बजे दुकानों को खोलने की तैयारी


एक गली

दो किलोमीटर की चढ़ाई के बाद कुछ ऐसा दिखा था

लड़का पानी के इंतजार में। दरअसल पाइप लाइन का लिकेज है जहां से हर सुबह पानी गुजरता है





1860, कैन यू इमेजिन। वाउ। दुकान के भीतर डेढ़ सौ साल के भीतर आए जितने एड हैं, सबके पोस्टर मिले। 555 सिगरेट का भी।

कुछ चीजों का लौटना नहीं होता....

 क्या ऐसे भी बुदबुदाया जा सकता है?  कुछ जो न कहा जा सके,  जो रहे हमेशा ही चलता भीतर  एक हाथ भर की दूरी पर रहने वाली बातें, उन बातों को याद क...