Thursday, April 12, 2018

सपने में आना...

(कुछ दिनों से मैं शैली में कुछ कहानियां लिख रहा हूं.. उसी सीरिज की एक कहानी आज ब्लॉग पर भी लगा रहा हूं। कहानी को काल्पनिक ही समझने में सहूलियत होगी :) )
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अक्सर जो लोग हमसे दूर चले जाते हैं, जिनसे कभी मिलना नहीं होता, जो कभी बेहद करीब रहे थेः वही लोग सपने में आते हैं।
जैसे तुम अक्सर ही सपने में आते हो. तुम्हारा जाना उस सपने का केन्द्र बिन्दू है। उसी के आसपास पूरा सपना बुना रहता है। मसलन कल रात जब तुम सपने में आये तो जाने का समय तय था। मैं हड़बड़ी में था। उस आने को लेकर उहाोपोह था। मैं चाहता था तुम कुछ ज्यादा ही देर रुको। लेकिन वो भी तुम्हारे साथ था। तुम्हें ले जाने की जिद्द लिये।

मैं जल्दी जल्दी में अपने जरुरी काम निपटाने की पुरानी आदत का शिकार था। तुम्हारे होने पर ही कितनी जरुरी काम निपटाया करता था। उस समय मुझे याद आया बहुत दिनों से टूथब्रश नहीं ली है। मैं तुम्हारे साथ जनरल स्टोर जाना चाहता था, ट्रूथब्रश लेने। लेकिन तुम्हारे जाने का समय तय था। लेकिन मैं तुम्हारे होते हुए अपने इस जरुरी काम को निपटा लेना चाहता था।

कुछ देर में हम किसी ग्रोसरी की दुकान पर थे। मैं ट्रूथब्रश ली, तुमने लेट होने की बात कही, उसने तुम्हें घूरा, और फिर तुम निकल गए।
मुझे बहुत तेज प्यास लगी थी। मैं वहीं पानी खोजने लगा। पसीने से अचानक लथपथ हो गया। जगा तो देखा पंखे की हवा से ठंड लग रही है।
मैंने पानी पीने का ख्याल छोड़ दिया।

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