Tuesday, October 2, 2018

people come and go...dont worry about them

लोग आयेंगे-जायेंगे...

उनके बारे में सोच-सोच कर
उनकी यादों में मर-मर कर क्या ही जीना ...

एक लंबी जिन्दगी में सात साल कितना कम है
उससे भी कम है चार साल
और उससे कहीं कम साल भर
और भी कम दो महीने
दो दिन
दो घंटे...


लेकिन इसी बीच लोग आते हैं
इतने दिनों के लिये भी
और लगता है जैसे पूरी जिन्दगी पर उनका हो  अधिकार

और फिर जब जाते हैं तो
अपने साथ ले जाते हैं
उतनेउतने समय भर का हिस्सा

मानो
जिन्दगी का हिस्सा न हो

हो शरीर के मांस का कोई लोथड़ा...


मुझे आश्चर्य होता है

कि ऐसे किसी का हिस्सा बनकर
कि ऐसे अपना हिस्सा खोकर

भी

लोग चुपचाप जिये चले जाते हैं...

सच में लोग आते हैं जाते हैं

उनकी चिंता करने का कोई मतलब नहीं

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