Tuesday, June 4, 2013

बुढ़ाता लोकतंत्र

बीच-बीच में हमारे देश के प्रभु वर्ग को लोकतंत्र की चिंता सताने लगती है। उस समय और जब इसी देश की जनता दामिनी के लिए सड़क पर होती है या फिर ये चिंता और बढ़ जाती है जब अपने ही जल-जंगल-जमीन से बेदखल कर दिए गए लोग हक की लड़ाई के लिए आवाज उठाने लगते हैं। लोकतंत्र के प्रति इन प्रभुओं का दर्द और चिंता बहुत ही स्पेशल  है। इन्हें तो किसी अदने से अरुंधती की अदनी सी खरी-खरी बात भी लोकतंत्र पर खतरा लगने लगता है। कितना कमजोर है इस देश का लोकतंत्र, आह।
आजादी के साठ साल बाद हुआ यह है कि हमारा लोकतंत्र  लोक से उठकर कहीं चला गया है..कोई मित्र बताते हैं कि कभी ये मुबंई के किसी बड़े शेयरखान के दफ्तर में दिखता है तो कभी दिल्ली के लुटियन्स में लेकिन  झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्यप्रदेश से लेकर उड़िसा तक कहीं भी लोकतंत्र नहीं दिखता।
मेरे दोस्त शोवरण..उन्हें भी लोकतंत्र मिल गया एक दिन संसद के गलियारे में..उनसे अच्छी खासी जवाब-तलब हुई.. मैं यहां उसे शोवरण के फेसबुक वॉल से उठा चिपका दे रहा हूं..आप भी पढ़िये ये रोचक दास्तान-ए-लोकतंत्र ऑफ अ ग्रेट इंडिया-
शोवरण



आजकल संसद बंद है। मन में जिज्ञासा हुई कि चलों देखें कि जब संसद में जूते चप्पल नही चलते हैं ,फिजूल की बहसें नही होती हैं और सबसे जरुरी बात जब जनता का पैसा बर्बाद नही होता है ,तब बंद संसद कैसी लगती है । अन्दर गया तो देखा कि भारतीय लोकतंत्र दण्ड पे दण्ड पेले जा रहा था । हमने पूछा... का भैया... काहे सलमान खान बनने पे आमादा हो ..तो लोकतंत्र बोला ..अरे का बताएं भैया हम बहुत प्रेशर में आ गए हैं ..उ का हैं कि एक तो हम दुनियां के सभी लोकतंत्रों से शारीरिक डील-डौल में थोड़े बड़े हैं और ऊपर से हियां का बुद्धिजीवी सब चिल्लाता रहता है कि भारत का लोकतंत्र मजबूत हो रहा है।
अब आप ही बताइए ई बुद्धीजीबी सब 60-65 की उम्र में भी मजबूती की उम्मीद करते हैं। लेकिन भैया हकीकत तो ये है कि हमें अन्दर से बड़ी कमजोरी फील हो रही है। जब जब मैं छत्तीसगढ़,झारखण्ड,उडिसा,आन्ध्र जाता हूं ..बीमार हो जाता हूं । और ये कमबख्त कश्मीर तो मुझे कभी रास ही नही आया ,जब जाता हूं तबियत खराब हो जाती है। और नार्थ-ईस्ट का तो मैं नाम लेते ही घबरा जाता हूं ..बहां के मणिपुर प्रांत का इरोम शर्मीला नाम का जीव तो पिछले 12 साल से मेरा खून चूसे जा रहा है...इधर सोनी सोरी नाम के छत्तीसगढ़ी जीव ने तो पिछले कई दिनों से मेरी नाक में दम कर रखा है और तो और इसने तो मेरे केयर टेकर सुप्रीम कोर्ट को भी नही छोड़ा ....जब भी बेचारा सोनी सोरी का नाम सुनता है ,हांफने लगता है। वाकई बड़ी कमजोरी फील कर रहा हूं भाई...और हां एक तो अपनी कमजोरी से परेशान हैं और ऊपर से ये नेता मेरा खून पिए जा रहे हैं । 
अभी पिछले दिनों जब महेन्द्र कर्मा और नंद कुमार पटेल की माओवादी हमले में मौत हो गई तो ये सोनिया गांधी कह रही थी कि कांग्रसी नेताओ पर हमला लोकतंत्र पर हमला है ...भैया मैं तो बहुत डर गया ..ये नेता लोग अपनी आपसी लड़ाई में मुझे बेमतलब काहे घसीटते हैं।भैया जिस दिन सुकमा में कांग्रेसी नेताओ पर हमला हुआ उस दिन तो मैं मुम्बई में अंवानी की पार्टी मे स्कोच पी रहा था । फिर कुछ देर बाद मीडिया में खबर आने लगी कि कहीं लोकतंत्र पर हमला हो गया तो मैने सोचा कि मैं तो हियां सेफ बैठा हूं फिर पता आखिर ये किस लोकतंत्र पर हमला हो गया ।फिर पता चला कि हमला तो कांग्रेसी नेताओ पर हुआ है और मीडिया फर्जी चिल्ला रहा है कि लोकतंत्र पर हमला हो गया । मीडिया की इन्ही अफवाहों की वजह से मैने अब डिस्टर्ब एरिया में जाना ही बंद कर दिया । बैसे भी इस लाल इलाके में जबसे सुरक्षा बलों ने मेरे भाई मानवाधिकार की हत्या की है ,मैने इस इलाके मे जाना ही बंद कर दिया । इसलिए मैं आजकल हियां संसद में ही रह रहा हूं और अपने आपको मजबूत बना रहा हूं। आखिर बुढापा भी कोई चीज होती है।

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