Thursday, October 1, 2015

तालीबान बनते देश को देखना

प्रोटेस्ट के लिये बीफ खाने का प्रोग्राम कैंसिल कर दिया है। दरअसल इतनी निराशा और अंधेरा है कि आज प्रोटेस्ट का कोई फॉर्म भी समझ में नहीं आता। लेकिन प्रोटेस्ट के नाम पर एक हिन्दू लड़के का दिल्ली के सुरक्षित इलाके में, मंहगे रेस्तरां में बैठ कर बीफ खाने का कोई मतलब नहीं। हमलोग सुरक्षित घेेरे में बैठे लोग हैं।
लेकिन जेहन में कई सवाल हैं- आज अगर मैं मुस्लिम होता तो क्या करता? इस देश में औवेसियों को किसने पैदा किया है? इस देश को कौन पाकिस्तान बनाना चाह रहा है? और क्या वे वही लोग नहीं हैं जो पाकिस्तानी हिन्दूओं पर आत्याचार की खबरों का लिंक शेयर करते रहते हैं और मौका लगने पर अख़लाक़ को कुचल-कुचल कर मार डालते हैं?
ये नफरत फैलाने वाले लोग सच में देशभक्त हैं या सबसे बड़े राष्ट्रद्रोही, जो भारत की विविधता में एकता को, उसके लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म करने की साजिश कर रहे हैं? क्या ये वही लोग नहीं हैं जो सेकुलर शब्द को मज़ाक बनाने की कोशिश कर रहे हैं?
जिस देश में आप सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं, उस देश को आप कितना अपना मानेंगे? सीरिया में मरे बच्चे की तस्वीरें शेयर करने वाले क्या अख़लाक़ की हत्या पर भी आँसू बहाते होंगे? सिर्फ मुस्लिम होने की वजह से किसी बम बला्स्ट के आरोप में आप या आपके किसी परिवार वाले को पांच साल तक जेल में रखकर टॉर्चर किया जाता है और एक दिन देश का कोई अदालत आपको बेगूनाह साबित कर देता है- आप इस देश की ऐसी व्यवस्था पर कितना विश्वास कर पायेंगे?
और ये कौन लोग हैं जिन्हें नफ़रत के कारोबार से सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है? ये कौन लोग हैं जिन्होंने अपने कारोबार को बनाये रखने के लिये हमें हत्यारा बना दिया है? क्या इस नफ़रत के कारोबार का फायदा सिर्फ सांप्रदायिक पार्टियों को है या फिर उन सेकुलर पार्टियां को भी है जो मुस्लिमों को वोट बैंक समझते आये हैं?
दरअसल हिटलर की संतान इस देश को तालिबान बनाना चाह रहे हैं..और आप-हम इस साजिश का शिकार हो मानवता के सबसे बड़े हत्यारे बन गये हैं...

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