Wednesday, February 22, 2017

दुःख के सफर मे अकेले चलना है

आप एक सफर में होते हैं- दुःख के सफर में।
सफर में और भी लोग चल रहे होते हैं- उसी दुःख के सफर में।
सड़कों पर चलते हुए, छोटी नदी में तैरते हुए कोई और भी आपके साथ चला आता है- आप उस दुःख में साथ डूबते-उतराते चले जाते हैं।
लेकिन फिर एक वक़्त आता है, एक बिंदु जहां जाकर साथ वाले का दुःख चला जाता है, दुःख की नदी से वो किनारे लग जाता है, आप बस उसे देख भर सकते हैं किनारे लगते हुए- आपको अच्छा भी लगता है कोई तो किनारे लगा, किनारे लगने वाला भी थोड़ी देर तक आपको तैरते जाते देखता है, फिर लौट जाता है-
आप चलते जाते हैं, दुःख के सफर में- बिलकुल अकेला।

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