Saturday, September 28, 2013

पड़ोसी 2


आँगन के अहाते में
रस्सी पे टँगे कपड़े
अफ़साना सुनाते हैं
एहवाल बताते हैं
कुछ रोज रुठाई के,
माँ बाप के घर रह कर
फिर मेरे पड़ोसी की
बीवी लौट आयी है।

दो चार दिनों में फिर,
पहले सी फिज़ा होगी,
आकाश भरा होगा,
और रात को आँगन से
कुछ कॉमेट गुज़रेंगे।
कुछ तश्तरियां उतरेंगी।
Gulzar

1 comment:

  1. Kaafi samay se padh rahi hoon yeh kitaab.. jab ajeeb si baichaini hoti hai aur sheher se baag janey ki jaldi... tab gulzar hi roktey hain...

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